Pakistan PM Shehbaz Sharif: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की तुर्किए (तुर्की) में आए भूकंप के बाद 8 फरवरी को वहां संवेदना जताने के लिए जाने वाले थे. हालांकि, ऐन मौके पर तुर्किए की सरकार ने पीएम शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के दौरे को रद्द कर दिया. तुर्किए ने कहा कि अभी वो राहत और बचाव कार्य में जुटा हुआ है, इस स्थिति में उनका यहां आना सही नहीं होगा.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई इस बेइज्जती के बावजूद पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ तुर्किए जाने को आतुर नजर आ रहे हैं. उनकी ओर से लगातार इशारा दिया जा रहा है कि वो तुर्किए के दुख में शामिल होने के लिए तैयार बैठे हैं. बस तुर्किए की सरकार की ओर से हां कहे जाने भर की देर है. वहीं, इसके उलट एससीओ की बैठक में भारत के न्योते पर अब तक पाकिस्तान की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.
पाकिस्तान के सामने 'आगे कुआं, पीछे खाई'
भारत की ओर से इस साल के अंत में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से पहले होने वाली सहयोगी देशों के विदेश मंत्रियों की अहम बैठक को लेकर पाकिस्तान को भी न्योता भेजा गया है. ये बैठक एससीओ समिट के एजेंडे को फाइनल करने के लिए 4 और 5 मई, 2023 को गोवा में होनी है.
यहां पाकिस्तान के लिए सिरदर्द इस वजह से बढ़ गया है कि अगर वह भारत के न्योते को ठुकरा देता है, तो इससे उसका करीबी चीन खफा हो सकता है. दरअसल, चीन एससीओ का सह संस्थापक देश है. वहीं, अगर पाकिस्तान ये आमंत्रण स्वीकार कर लेता है, तो उसके देश के विपक्षी नेता इमरान खान समेत कट्टरपंथी शरीफ सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में इसका फायदा उठा लेंगे.
एक तरह से ये पाकिस्तान के लिए आगे कुआं और पीछे खाई वाली स्थिति बन गई है. अगर न्योता ठुकराता है, तो उसका सदाबहार दोस्त चीन नाराज हो जाएगा. वहीं, अगर निमंत्रण स्वीकार कर भारत आने का कार्यक्रम बनाता है, तो आर्थिक संकट में घिरे पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियां शहबाज शरीफ की सरकार को पीएम मोदी के दबाव में झुकने की बात करने लगेंगे.
भारत की पहल पर पीछे हटने से घाटे में रहेगा पाकिस्तान
एससीओ समिट की बैठक के लिए भारत की ओर से पाकिस्तान को भेजा गया निमंत्रण रिश्तों पर जमी बर्फ के पिघलने का संकेत हो सकता है. पीएम शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के कुछ हालिया बयानों के बावजूद ये न्योता रिश्तों को फिर से बहाल करने के लिए भारत की ओर से उठाए गए कदम के तौर पर देखा जाएगा.
एससीओ बैठक में मुख्य रूप से आतंकवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है. जिसकी वजह से पाकिस्तान कतरा रहा है. हालांकि, अगर चीन की ओर से पाकिस्तान पर दबाव बनाया जाता है, तो उसके सामने भारत आने के सिवा और कुछ भी न कर पाने की मजबूरी होगी.
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