जानिए, क्यों तमिलनाडु के तुतिकोरिन में वेदांता की स्टरलाइट कॉपर यूनिट का विरोध हो रहा है?
तमिलनाडु के तुतिकोरिन में वेदांता की स्टरलाइट कॉपर यूनिट कंपनी का व्यापक विरोध हो रहा है. आरोप है कि इस कॉपर प्लांट की वजह से हवा और पानी में प्रदूषण फैल रहा है.
तुतिकोरिन: तमिलनाडु के तुतिकोरिन में वेदांता की स्टरलाइट कॉपर यूनिट कंपनी का व्यापक विरोध हो रहा है. कल विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस से भिड़ंत में 11 लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि इस कॉपर प्लांट की वजह से हवा और पानी में प्रदूषण फैल रहा है. इस बीच आज मद्रास हाईकोर्ट ने स्टरलाइट कॉपर यूनिट के विस्तार पर रोक लगा दी. साउथ के सुपरस्टार कमल हासन ने भी इसका विरोध किया है और कई राजनीतिक दलों ने इसमें उनका साथ भी दिया है.
लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि आखिर क्यों इतनी भारी संख्या में लोग इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं? क्या है इसकी वजह?
क्या है वजह
स्थानीय लोग पिछले 100 दिनों से स्टरलाइट प्लांट को बंद करने की मांग कर रहे हैं. आसपास के लोगों ने पहले ही इस बात की चेतावनी दी थी कि अगर ये प्लांट नहीं बंद किया गया तो तुतिकोरिन डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ऑफिस तक मार्च निकालेंगे. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि प्लांट से निकलने वाले कचड़े की वजह से ग्राउंड वॉटर दूषित हो रहा है.
वहीं एक एक्टिविस्ट ग्रुप ने आरोप लगाया है कि प्रदूषण बोर्ड ने स्टरलाइट को छोटी चिमनी पर प्लांट चलाने की इजाजत दे दी जबकि बड़ी चिमनी लगाने की बात कही गई थी. इससे स्टरलाइट को फायदा हुआ और उसका खर्चा कम हो गया जबकि पर्यावरण का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ.
वेदांता लिमिटेड की स्टरलाइट कॉपर यूनिट एक साल में चार लाख टन कॉपर कैथोड का उत्पादन करती है. कंपनी की उद्देश्य है कि इस साल से उत्पादन दोगुना यानि कि आठ लाख टन कर दिया जाए. ये प्लांट पिछले 27 मार्च को 15 दिन के मेंटेनेंस के लिए बंद किया गया था.
क्या कहता है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अप्रैल के लिए वेदांता का लाइसेंस रद्द कर दिया था. बोर्ड ने कहा था कि कंपनी पर्यावरण नियमों का उलंघन किया है इसलिए इसे आगे चलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी. बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ वेदांता ने अपील की. अपीलीय अधिकारी ने इस मामले को छह जून तक के लिए स्थगित कर दिया था. बोर्ड ने कहा कि स्टरलाइट ने कॉपर कचड़े को नदीं में छोड़ा और कंपनी ने प्लांट के आसपास के इलाकों में ग्राउंड वॉटर की क्या स्थिति है, इस पर कोई रिपोर्ट भी नहीं दी. इससे पहले भी स्टरलाइट को बंद किया जा चुका है. साल 2013 में एनजीटी में एक मामले के चलते स्टरलाइट को बंद किया गया था.
कंपनी क्या कहती है
स्टरलाइट कॉपर के सीईओ पी रामनाथ ने कहा कि प्लांट ने सुप्रीम कोर्ट और एमईईआरआई द्वारा लगाए गए सभी शर्तों का पालन किया है. कंपनी का कहना है कि उनके प्लांट की वजह से पानी दूषित नहीं हो रहा है. इसके लिए उन्होंने कहा है कि अगर लोगों को विश्वास नहीं है तो वे खुद ही आकर प्लांट में देख सकते हैं. हालांकि एक्टिविस्टों ने स्टरलाइट के इस ऑफर को ठुकरा दिया. उन्होंने कहा कि समस्या ये नहीं है कि फैक्टरी के अंदर क्या चल रहा है, बल्कि समस्या ये है कि अंदर जो भी हो रहा है उसकी वजह से बाहर पर्यावरण पर भयानक प्रभाव पड़ रहा है.
कौन लोग प्लांट को चलाते रहना चाहते हैं
द तुतीकोरिन स्टीवेडोर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से खुहार लगाई है कि वे प्लांट को फिर से चालू करवाएं. इनका कहना है कि प्लांट के बंद होने से कई लोगों के रोजगार दांव पर लगे हुए हैं. इससे प्लांट में काम करने वाले मजदूरों के जीव पर प्रभाव पड़ रहा है. इसके अलावा केमिकल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और वाइंडिंग वायर मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन ने भी प्लांट के बंद होने का विरोध किया है. इनका कहना है कि इसकी वजह से मजदूर और इससे जुड़ी छोटी कंपनियों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा.
कॉपर के दाम में बढ़ोत्तरी
बता दें कि भारत के कुल कॉपर निर्यात में स्टरलाइट की हिस्सेदारी 35 फीसदी है. ये कंपनी हर साल चार लाख टन कॉपर का उत्पादन कर है. इसके बंद होने से कॉपर के दामों में इजाफा हो गया है. भारत में भी कॉपर की खपत पिछले कई सालों में बढ़ी है. हर साल सात से आठ प्रतिशत मांग में बढ़ोत्तरी हो रही है. एक कंसल्टेंसी फर्म आईसीआरए लिमिटेड ने अप्रैल में अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि अगर इसी तरह देश में कॉपर की मांग बढ़ती रहेगी तो भारत को बाहर कॉपर मंगाना पड़ेगा.