Supertech Twin Towers Demolition Post Effects: नोएडा (Noida) के सेक्टर 93 ए में सुपरटेक (Supertech) के ट्विन टावर (Twin Towers) को गिरा दिया गया है. सुपरटेक पर नियमों को तांक पर रख दो टावरों एपेक्स (Apex Tower) और सियान (Cyan Tower) बनाने का आरोप लगा था. आखिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद ने आसमान छूती इमारतों को धराशाई कर दिया गया. 


बड़ा सवाल यह है कि टावरों का मलबा कितने दिन में हटेगा, लोगों के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा और इलाके नें हालात कब सामान्य होंगे? ऐसे ही न जाने कितने सवाल जनता के मन में कौंध रहे हैं. आइये एक-एक करके आपको बताते हैं सभी सवालों के जवाब.


बिल्डिंग गिराने की जिम्मेदारी किस पर?


सुपरटेक के ट्विव टावर को गिराने की जिम्मेदारी एडिफिस इंजीनियरिंग नाम की कंपनी को दी गई थी. एडिफिस इंजीनियरिंग लगभग 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावर को सुरक्षित रूप से ढहाने के लिए दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमॉलिशन्स कंपनी के साथ हाथ मिलाया था. इस पूरे घटनाक्रम को नोएडा प्राधिकरण नजर में अंजाम दिया जा रहा है.  इमारत को गिराने के लिए 9,640 छेद करके 3700 किलोग्राम विस्फोटक भरा गया था. इतना बड़ा धमाका देश में पहले कभी नहीं हुआ.


किस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल?


ट्विन टावर को 15 सेकेंड से भी कम समय में ढहा दिया गया. इसके लिए ‘इंप्लोजन तकनीक’ अपनाई गई. ट्विन टावर के आसपास 500 मीटर के दायरे को ‘एक्सक्लुजन जोन’ यानी वर्जित क्षेत्र बनाया गया. इसका मतलब है कि ब्लास्ट के समय प्रोजेक्ट से जुड़े कर्मचारियों के अलावा किसी भी मनुष्य या जानवर को इलाके में आने की अनुमति नहीं थी.


बिल्डिंग गिराने में खर्च?


एपेक्स और सियान टावर को गिराने में आने वाली लागत के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी तो सामने नहीं आई है लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में 17 से 20 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया गया है. ट्विन टावर वाली जगह की कीमत फिलहाल 10 हजार रुपये प्रति वर्ग फीट है. रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि 800 करोड़ की कीमत वाले ट्विन टावर को बनाने में 300 से 400 करोड़ रुपये खर्च आया था.


कब तक हटेगा मलबा?


बताया जा रहा है कि दोनों टावरों का मलबा करीब 55,000 से 80,000 टन बैठेगा. मलबे को हटाने में कम से कम 3 महीने का समय लगेगा. 


लोगों के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा?


गौतमबुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी की ओर से स्वास्थ्य संबंधी सलाह जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि धमाके के बाद आंख, नाक और चेहरे में जलन, शरीर में दर्द, सीने में जकड़न, अनियमित दिल की धड़कन, खांसी आना, नाक बहना, नाक में जकड़न, जी मिचलाना और पेट दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. 


बचने के लिए क्या करें?


मुख्य चिकित्सा अधिकारी की एडवाइजरी में कहा गया है कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने के लिए घर के सभी खिड़की दरवाजे बंद रखें, फर्श को वेक्यूम क्लीनर या गीले पोछा से पूरी तरह साफ करें, घर के सभी चादरों और तकिए के कवर धो डालें. भोजन-पानी से पहले हाथ-पैर और नाखूनों को पूरी तरह साफ करें, फेस मास्क और आखों के लिए चश्मे का इस्तेमाल करें. इसी के साथ दो नंबर जारी किए गए हैं. जिन पर शिकायत की जा सकती है. ये नंबर हैं- डॉ उबैद- 9415519773  और डॉ. टीकम सिंह- 9650826925


क्या ट्विन टावर गिरने से आया भूकंप?


जानकारों ने इमारत के ढांचे के मुताबिक, टावर गिरने पर 25 मिलीमीटर प्रति सेकेंड के वाइब्रेशन का अनुमान जताया था. एडफिस के इंजीनियर मयूर मेहता ने जानकारी दी थी कि इलाके अब तक जितने भी भूकंप आए हैं, वे रिक्टर स्केल पर 4-5 की तीव्रता से ज्यादा के नहीं रहे, जिनमें 300 से 400 मिलीमीटर प्रति सेकेंड का वाइब्रेशन दर्ज किया गया है. उन्होंने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है.


आसपास के घरों में क्या नुकसान होगा?


एडिफिस के इंजीनियरों का कहना है कि आसपास के घरों में पेंट और प्लास्टर में मामूली दरारें आ सकती हैं. लोगों को टीवी के प्लग निकालने और कांच के सामान भीतर सुरक्षित रखने के लिए पहले ही कहा जा चुका है. 


प्रदूषण से कैसे निपटा जाएगा?


सोमवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी दूसरे विभागों के अधिकारियों के साथ साइट का जाएजा लेंगे. दरअसल, ट्वीन टावर गिरने पर कई मीटर की ऊंचाई तक कंक्रीट की धूल का बड़ा सा गुबार उठा और आसपास इलाके में छा जाएगा. इससे वायु प्रदूषण हुआ. इससे निपटने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने तैयारी की है. कोशिश की गई है कि धूल का गुबार ज्यादा देर हवा में न रहे.


आसपास की इमारतों और पार्क प्लास्टिक की कई परतों से ढंका गया है. भारी मात्रा में पानी का छिड़काव किया गया है. वाटर जैट, फायर टेंडर और स्प्रिंकलर से भी पानी गिराने का इंतजाम किया गया है. 


धूल बैठने में कितना वक्त लगेगा?


जानकारों की मानें तो करीब तीन किलोमीटर के दायरे में धूल का गुबार फैलेगा. जानकारों का यह भी कहना है कि धमाके कारण आसमान में छाने वाली धुंध को छंटने में कम से कम तीन घंटे का समय लग जाएगा क्योंकि इमारत के मलबे से उठने वाली धूल के अलावा इसे ढहाने में इस्तेमाल किए गए 3700 किलो बारूद का धुआं भी शामिल होगा. अधिकारियों के मुताबिक, दोनों टावर में पहले से ही एक फ्लोर पर जियो टेक्सटाइल फाइबर क्लॉथ का जाल बिछाया गया था ताकि मलबा इधर-उधर नहीं बिखरे.


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