केस दर्ज होने के बाद Twitter का बयान, कहा- बाल यौन शोषण को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति
माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर का बयान दिल्ली पुलिस की नोटिस के बाद आया है. नोटिस में ट्विटर से जानकारी मांगी कि उसने बच्चों से जुड़े अश्लील सामग्री प्रसारित किए जाने के खिलाफ क्या कदम उठाए हैं.
नई दिल्ली: माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने कहा कि बाल यौन शोषण (सीएसई) को लेकर उसकी जीरो टॉलरेंस नीति है. ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा कि हम ट्विटर के नियमों का उल्लंघन करने वाली सामग्री का सक्रिय रूप से पता लगाने और उसे हटाने का काम जारी रखेंगे और इस मुद्दे से निपटने के लिए भारत में कानून एजेंसियों और एनजीओ के साथ मिलकर काम करेंगे.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, ट्विटर का ये बयान ऐसे समय में आया जब दिल्ली पुलिस ने नोटिस जारी कर उसके प्लेटफॉर्म पर बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री प्रसारित किए जाने के खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ट्विटर को मंगलवार को नोटिस भेजा गया.
Twitter has a zero-tolerance policy for Child Sexual Exploitation (CSE). We will continue to invest in proactive detection & removal of content that violates Twitter rules & work with law enforcement and NGO partners in India to tackle the issue: Twitter Spokesperson
— ANI (@ANI) June 30, 2021
अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने ट्विटर के संबंधित अधिकारियों से उनके प्लेटफॉर्म पर मौजूद बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी सामग्रियों के खिलाफ उठाए गए कदमों और ऐसी सामग्री प्रसारित करने वाले खातों के बारे में जानकारी देने के लिए कहा है.
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज की थी जिसमें उसपर आरोप है कि उसने अपने मंच पर बाल पोर्नोग्राफी तक पहुंच की अनुमति दी है. पुलिस ने कहा कि भारतीय दंड संहिता, यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा कानून (पॉक्सो) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
नोटिस दिए जाने से पहले, आयोग ने पुलिस उपायुक्त (साइबर प्रकोष्ठ) अन्येष रॉय से पूछा था कि 29 मई को दिल्ली पुलिस को लिखे गए पत्र के अनुसार ट्विटर के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की गई. पत्र में आयोग ने दिल्ली पुलिस से ट्विटर के विरुद्ध मामला दर्ज करने को कहा था. हाल में आयोग द्वारा की गई जांच में पाया गया था कि बच्चों के यौन शोषण से संबंधित सामग्री ट्विटर पर आसानी से उपलब्ध है, जिसके आधार पर मामला दर्ज करने को कहा गया था.
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