Election Commission Appointments: चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कमेटी की बैठक 14 मार्च को हो सकती है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सूत्रों ने रविवार (10 मार्च) को बताया कि 15 मार्च तक दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति होने की संभावना है.


बता दें कि अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति और अरुण गोयल के आश्चर्यजनक इस्तीफे से चुनाव आयोग के दो पद खाली हुए हैं. चुनाव आयोग की ओर से लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की संभावित घोषणा से कुछ दिन पहले शुक्रवार (8 मार्छ) को अरुण गोयल ने अचानक चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफ दे दिया था, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार (9 मार्च) को स्वीकार कर लिया. कानून मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर इसकी घोषणा की. इससे मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार चुनाव प्राधिकरण के एकमात्र सदस्य रह गए हैं.


प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति की सिफारिशों के आाधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेंगी.


कैसे होती है चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति?


चुनाव आयुक्तों (जिनमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त शामिल हैं) की नियुक्ति 'मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम, 2023' के प्रावधानों के अनुसार होती है. इस कानून ने 'चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और कामकाज का संचालन) अधिनियम, 1991' से बदला गया है.


चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रकिया एक सर्च कमेटी की सिफारिश के आधार पर सुझाए गए नामों से शुरू होती है. सर्च कमेटी की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करते हैं. सर्च कमेटी पीएम की अध्यक्षता वाली चयन समिति (सिलेक्शन कमेटी) को पांच नाम सुझाती है. हालांकि, सिलेक्शन कमेटी उन पांच नामों के अलावा अन्य किसी नाम पर भी विचार कर सकती है. चयन समिति फिर उन नामों को राष्ट्रपति के पास भेजती है. आखिर में राष्ट्रपति की ओर से चुनाव आयुक्तों के नामों पर मुहर लगाई जाती है. पहले इस प्रकिया में मुख्य न्यायाधीस (CJI) का भी रोल होता था. चुनाव आयुक्तों को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की तरह स्टेटस, वेतन और भत्ते मिलते हैं. 


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