नई दिल्ली: देश में पहली बार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि CDS की नियुक्ति पर दो पुराने सूचना प्रसारण मंत्री ही ज़ुबानी जंग में भिड़ गए. यूपीए सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री रहे कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इसे बिना पर्याप्त सोच-विचार के लिया फैसला बताते हुए सवाल उठाए. वहीं जवाब में खुद फौजी अधिकारी और मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में मंत्री रहे कर्नल(रि) राज्यवर्धन सिंह राठौर ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भ्रामक व नुकसानदेह करार दिया. दोनों नेताओं की जंग का अखाड़ा बना ट्विटर.


दरअसल, पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने देश में CDS की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए एक समाचार पत्रिका में लेख लिखा. इस लेख में तिवारी ने देश में पहली बार बनाए गए इस नए सैन्य पद, उसके दायित्वों और कार्य संचालन के लिए बनाए गए नए प्रावधानों पर सवाल उठाए. साथ ही आरोप लगाया कि सरकार ने पर्याप्त सोच-विचार के देश में नया सैन्य पद बना दिया है. तिवारी ने अपने सवालों को ट्वीट भी किया.


कांग्रेस की तरफ से आए इस वार का जवाब देने के लिए कर्नल (रि) राज्यवर्धन सिंह राठौर मैदान में आए जो पिछली मोदी सरकार में सूचना प्रसाण मंत्रालय की ज़िम्मेदारी सम्भाल चुके हैं. राजस्थान से बीजेपी सांसद राठौर ने कटाक्ष भरा ट्वीट कर कहा कि एक ज्ञाता वकील होने के नाते उम्मीद थी कि मनीष तिवारी तथ्य और तर्क पर बात करेंगे. इस नियुक्ति पर रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए राठौर ने कहा सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और रक्षा सचिव की जिम्मेदारियों को अच्छे से परिभाषित किया है. इसमें न तो किसी को दरकिनार किया गया है और न ही नज़रंदाज़.


राज्यवर्धन राठौर ने आरोप लगाया कि इस तरह की बात कर मनीष तिवारी और उनकी पार्टी बांटने का प्रयास कर रही है. हालांकि तिवारी ने भी ट्वीट कर इसका जवाब देते हुए कहा कि यह किसी नियुक्त किए गए व्यक्ति का नहीं बल्कि संस्था का सवाल है. इस पर और अधिक चिंतन किया जाना चाहिए था. हालांकि, राठौर से पहले चेयरमैन चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी में इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ प्रमुख रहे लेफ्टिनेंट जनरल (रि) सतीश दुआ ने मनीष तिवारी के सवालों का जवाब दिया. पूर्व सेना अधिकारी ने कहा कि, CDS सभी ट्राई-सर्विस (तीनों सेनाओं की भूमिका) वाले सैन्य मामलों पर प्रमुख सलाहकार होंगे जबकि तीनों सेनाध्यक्ष अपने अपनी सेनाओं के मामले पर सलाह देंगे.


लेफ्टिनेंट जनरल दुआ ने कहा कि चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (तीनों सेना प्रमुखों की कमेटी) का सदस्य रहते हुए मैंने देखा है कि ऑपरेशनल मुद्दों पर तीनों सेनाध्यक्षों के बीच सहमति होती है. लिहाज़ा यदि तीनों सेनाओं की भूमिका वाले किसी विषय पर असहमति होती है तो CDS का निर्णय अंतिम होगा. तीनों सेनाध्यक्ष CDS की अगुवाई में नव गठित सैन्य मामलों सम्बन्धी विभाग के माध्यम से रक्षा मंत्री को रिपोर्ट करेंगे. मनीष तिवारी की तरफ से CDS और रक्षा सचिव की भूमिकाओं पर स्पष्टता को लेकर उठाए सवालों पर जनरल दुआ ने कहा कि रक्षा सचिव रक्षा सम्बन्धी मामलों के प्रभारी हैं. जबकि CDS सैन्य मामलों के प्रभारी होंगे. तीनों सेना मुख्यालय इसी डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स से जुड़े होंगे.


यह भी पढ़ें-


बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 100 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का निवेश करेगी मोदी सरकार