भारतीय मूल के दो वैज्ञानिकों ने रचा इतिहास, अमेरिका की 'नेशनल इन्वेंटर हॉल ऑफ फेम' में शामिल
अरोग्यस्वामी पौलराज और सुमिता मित्रा को प्रतिष्ठित 'नेशनल इन्वेंटर हॉल ऑफ फेम' में इस साल शामिल किया गया है. पौलराज को 'एमआईएमओ वायरलेस टेक्नॉलिजी' और मित्रा को 'नैनोकॉम्पोजिट डेंटल मैटेरियल' के लिए यह सम्मान दिया गया.
वॉशिंगटन: भारतीय मूल के दो वैज्ञानिकों को उनके अविष्कारों के लिए अमेरिका में सम्मान दिया गया. अरोग्यस्वामी पौलराज और सुमिता मित्रा को प्रतिष्ठित 'नेशनल इन्वेंटर हॉल ऑफ फेम' में इस साल शामिल किया गया है. पौलराज को 'एमआईएमओ वायरलेस टेक्नॉलिजी' और मित्रा को 'नैनोकॉम्पोजिट डेंटल मैटेरियल' के लिए यह सम्मान दिया गया.
पौलराज और मित्रा के अलावा 13 अन्य वैज्ञानिकों को यह सम्मान दिया जा रहा है. दो से तीन मई को 'द ग्रेटेस्ट सेलिब्रेशन ऑफ अमेरिकन इनोवेशन' कार्यक्रम में इन सभी वैज्ञानिकों को औपचारिक रूप से सम्मानित किया जाएगा. यह कार्यक्रम यूएस पेटेंट और ट्रेडमार्क ऑफिस के साझेदारी में किया जाएगा.
'नेशनल इन्वेंटर हॉल ऑफ फेम' ने 2018 में शामिल किए नामों की घोषणा करते हुए कहा कि डॉ पौलराज की 'एमआईएमओ वायरलेस तकनीकि' ने ब्रॉडबैंड वॉयरलेस इंटरनेट की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव लाया है. इस तकनीकि ने दुनिया भर में करोड़ों लोगों के लिए इंटरनेट के मायने को बिल्कुल बदल के रख दिया.
'एमआईएमओ' यानि कि मल्टी-इनपुट मल्टी आउटपुट की वजह से इंटरनेट का नेटवर्क बेहतर बना रहता है और इसकी वजह से डाटा ट्रांसफर करना आसान हो जाता है. डॉ पुलराज ने कहा, "यह एक अद्भुत सम्मान है. आधुनिक दुनिया को संभव बनाने वाले आविष्कारकों के बीच गिना जाने मेरे लिए बड़ी बात है."
वहीं 69 वर्षीय सुमिता मित्रा को अमेरिकी एकाधिकार वाली "नैनोकॉम्पोजिट डेंटल मैटेरियल" के लिए हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया. यह तकनीक अभी तक 60 करोड़ से ज्यादा बार स्तेमाल की जा चुकी है. 90 के दशक के आखिरी में डॉ मित्रा ने 3एम ओरल सेंटर में डेन्टिस्ट रहते हुए यह अविष्कार किया था. इस तकनीक का स्तेमाल मुंह के किसी भी हिस्से में दांत लगाने के लिए किया जाता है. डॉ मित्रा के इस खोज ने डेंटल तकनीक को पूरी तरीके से बदल के रख दिया.
सुमिता मित्रा 3एम कंपनी के साथ तीस साल से भी ज्यादा समय तक काम करने के बाद 2010 में रिटायर हो गईं थीं. इस समय मित्रा अपने पति के साथ मिलकर 'मित्रा केमिकल कन्सल्टिंग एलएलसी चलाती हैं.'