सांप्रदायिक नफरत को आईना दिखाती दो मुस्लिम गौरक्षकों की कहानी
चंडीगढ़: पंजाब के मालेर कोटला जिले के दो मुस्लिम नौजवानों की यह कहानी मौजूदा वक्त में एक मिसाल है और एक खास संप्रदाय के प्रति लोगों की सोच को आईना दिखाती है. अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक शम्सुद्दीन चौधरी और उनके दोस्त ने सड़क पर पड़ी बेसहारा और खून से लथपथ गाय की मदद कर नफरत फैलाने वालों को करारा जवाब दिया है.
खबर के मुताबिक शम्सुद्दीन और उनके दोस्त मुबीन ने मिलकर दिसंबर की इस कड़ाके की ठंड वाली रात में भटिंडा की सड़क पर पड़ी एक बेसहारा और घायल गाय की ना सिर्फ मदद की बल्कि उसे सुरक्षित गौशाला तक पहुंचाने तक का काम किया.
शम्सुद्दीन चौधरी ने बातचीत के दौरान बताया कि जब वह शनिवार की देर रात अपने दोस्त मुबीन को घर छोड़कर अपनी कार से वापस लौट रहे थे तब उन्होंने लुधियाना बाइपास सड़क पर एक गाय को देखा, जिसके शरीर से बुरी तरह खून बह रहा था. जिसके बाद चौधरी ने अपनी गाड़ी रोककर जानवर की मदद का फैसला लिया और अपने दोस्त को बुलाया और पुलिस को इसकी खबर दी.
लेकिन पुलिस को खबर देने के बाद भी देर तक कोई रिसपॉन्स नहीं मिलने पर शम्सुद्दीन ने मालेर कोटला के एसडीएम शौकत अहमद पर्रे को फोन किया और बताया कि सड़क पर एक गाय बुरी तरह जख्मी है और लगता है किसी गाड़ी के टकराने के बाद यह घायल हो गई है. फोन उठाकर एसडीएम ने शम्सुद्दीन को पांच मिनट रुकने को कहा. जिसके तुरंत बाद आधे घंटे के भीतर नगर निगम की टीम मदद के लिए पहुंची और जख्मी गाय को गौशाला में पहुंचाया गया.
शम्सुद्दीन के दोस्त मुबीन ने बताया कि इस पूरे मामले में दो घंटे से अधिक लगे, लेकिन जब हम पूरी तरह से आश्वस्त हो गए कि गाय अब पूरी तरह से सेफ है तब जाकर हम अपने घर लौटे. शम्सुद्दीन पेशे से बिजनेसमैन है.