Brain Eating Amoeba: केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में दिमाग खाने वाले अमीबा के दो और मामलों की पुष्टि हुई है. इन मामलों की पुष्टि के बाद से ही राज्य में हड़कंप मचा है और लोग डर के साए में जी रहे हैं. अमीबिक एन्सेफ्लाइटिस के दो और मामलों की पुष्टि ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. 


तिरुवनंतपुरम के थिरुमाला और मुल्लुविला की दो युवतियों में मस्तिष्क खाने वाले अमीबा की पुष्टि हुई है. बताया गया कि दोनों ही युवतियों का अब तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में इलाज जारी है. इन दो मामलों के सामने आने के बाद अमीबिक एन्सेफ्लाइटिस के रोगियों की संख्या बढ़कर तीन हो गई है. 


कैसे फैल रही बीमारी?


बीते दो महीनों में करीब 14 लोगों में संक्रमण का पता चला था. गनीमत ये रही कि इनमें से दस लोगों का इलाज सफल रहा और दो सप्ताह पहले ही उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया जबकि कासरगोड जिले में 38 वर्षीय माणिकंदन की बीते रविवार (22 सितंबर, 2024) को मौत हो गई थी. ये बीमारी दूषित पानी के जरिए फैलने की बात कही जा रही है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने लोगों से सावधानी बरतने और पूरी तरह सतर्क रहने का आग्रह किया है. लोगों को पानी में रहने के दौरान या स्वीमिंग के दौरान भी काफी सतर्कता बरतने की बात कही गई है. 


क्या है अमीबिक एन्सेफ्लाइटिस ?


मीबिक एन्सेफ्लाइटिस या ब्रेन-ईटिंग अमीबा एक दर्लभ संक्रमण है जिसका वैज्ञानिक नाम नएगलेरिया फॉलेरी (Naegleria fowleri) है. सामान्यत झीलों, ताजे पानी, नदियों, गर्म पानी के झरनों और मिट्टी में ब्रेन-ईटिंग अमीबा पाया जाता है. इन जगहों पर जाने पर व्यक्ति इसके संपर्क में आ जाता है. ये बीमारी नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है. नाक के जरिए दिमाग में घुसने वाले अमीबा से मौत भी हो सकती है. 97 प्रतिशत मामलों में व्यक्ति का बचना मुश्किल होता है.


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