नई दिल्ली: जासूसी के आरोप में पाकिस्तानी उच्चायोग के पकड़े गए दो अधिकारियों को लेकर दिल्ली पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है. दिल्ली पुलिस का कहना है कि उनकी मंशा रेलगाड़ियों से सेना की इकाइयों की आवाजाही का विस्तृत ब्यौरा हासिल करना था.


दिल्ली पुलिस का सनसनीखेज खुलासा


दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की पकड़ में आए पाकिस्तानी उच्चायोग के दो अधिकारी धन के बदले एक भारतीय नागरिक से भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़े संवेदनशील दस्तावेज हासिल करना चाह रहे थे. पुलिस को पूछताछ में पता चला कि एक आरोपी हुसैन कई फर्जी पहचान के माध्यम से काम करता है. उसकी मंशा कई संगठनों एवं विभागों के लोगों को लालच देकर सूचना हासिल करना होता था. उसने भारतीय रेलवे में काम करने वाले एक व्यक्ति से संपर्क साधने के लिए खुद को मीडियाकर्मी का भाई गौतम बताया. अतिरिक्त जनसंपर्क अधिकारी (दिल्ली पुलिस) अनिल मित्तल ने बताया कि उसने यह कहकर विश्वास जीतने का प्रयास किया कि उसका भाई भारतीय रेलवे पर एक खबर कर रहा है.


पाक उच्चायोग के दो अधिकारी ISI के लिए कर रहे थे काम


जिसके लिए उसे रेलगाड़ियों की आवाजाही के बारे में सूचना चाहिए. हालांकि उसका मकसद रेल कर्मचारी को लालच देकर जाल में फंसाना था. जिससे रेलगाड़ियों के माध्यम से सेना की इकाइयों और साजो-सामान की आवाजाही के बारे में सूचना हासिल की जा सके.


विदेश मंत्रालय ने रविवार को जारी बयान में कहा, ‘‘सरकार ने दोनों अधिकारियों को अवांछित करार दिया है और उनसे 24 घंटे के अंदर देश छोड़ने को कहा गया है." सूत्रों ने बताया कि अधिकारी पाकिस्तान उच्चायोग के वीजा शाखा में काम करते थे और पूछताछ के दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम कर रहे थे. सूत्रों ने ये भी बताया कि दस्तावेज मुहैया कराने के लिए दोनों अधिकारी उस व्यक्ति को भारतीय मुद्रा और आईफोन दे रहे थे. सूत्रों ने बताया कि शुरू में उन्होंने खुद को भारतीय नागरिक बताया और अपने फर्जी आधार कार्ड भी दिखाए.


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