दिल्ली हिंसा ने ले ली एक ही घर के दो बेटों की जान, गम में डूबा परिवार
दिल्ली हिंसा में एक ही परिवार के दो जवान बेटों मौत हो गई. दो बेटों की मौत के बाद परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है. जीटीबी अस्पताल में एक भाई अपने बड़े और छोटे भाई का शव लेने पहुंचा.
नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा के बाद जीटीबी अस्पताल में लगातार मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. परिजन अपने चाहने वालों को ढूंढ़ते हुए बेहाल अस्पताल पहुंच रहें हैं. इस हिंसा में कई परिवार उजड़ गए. वहीं परिवार वालों का ये भी आरोप है कि उनको समय पर शव नहीं सौंपे जा रहे हैं जिसकी वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
दिल्ली में हुई हिंसा में कई घर जले, दुकाने जली, लोगों ने अपने परिवार के सदस्य को खोया. जी. टी. बी अस्पताल में लोग अपनों के लिए इंतज़ार करते नज़र आए. किसी को अपने भाई की तलाश थी तो कोई बेटी अपने पिता को ढूंढ रही थी. इसी भीड़ में ओल्ड मुस्तफाबाद का रहने वाला एक युवक बेतहाशा फूट-फूट कर रो रहा था. उसे अपने दो भाइयों की तलाश थी. एक बड़ा भाई जो 25 साल का था और दूसरा छोटा जो महज 18 साल का था. बहुत कोशिशों के बाद उसे अंदर जाकर दोनों ही शवों की शिनाख्त के लिए अंदर भेजा गया.
दरसल उसने बताया के जिस दिन ये घटना हुई दोनों भाई बाइक पर घर आने के लिए निकले. तब तक माहौल शांत बताया जा रहा था. तभी शिव विहार पर उन दोनों को कुछ लोगों ने घेर लिया. तबसे हुी उनकी घर वाले उनकी तलाश कर रहे थे. घर वाले उन्हें ढूंढ़ते हुए जब पुलिस स्टेशन पहुंचे तो उन्हें पता चला के उन दोनों के शवों को जीटीबी अस्पताल लाया गया है.
25 साल का युवा शादी शुदा था हिंसा की वजह से कई दिनों से उसका कारोबार ठप पड़ा था. इस शख्स की दो छोटी बेटियां हैं बीवी है और माता पिता हैं. पिता की भी तबियत खराब रहती है जिस वजह से केवल इन लड़कों का भाई ही शवों को ढूंढ़ते हुए जी. टी.बी अस्पताल पहुंचा. दूसरा भाई 18 साल का था हाथों में उसका खून दिखाते हुए उसका बड़ा भाई बोला के उसके सर के पीछे से खून निकल रहा था जैसे कि उसको किसी ने गोली मारी हो. वहीं 18 साल का भाई युवक अपने ही भाई के साथ जीन्स की फैक्ट्री में काम करता था.
दो बेटों की मौत से परिवार वाले टूट चुका है. अब उनके भाई का यही कहना है के हत्यारों और दंगाइयों को सजा मिले और जल्द से जल्द पूरी दिल्ली में शांति बहाल हो. वहीं पोस्टमार्टम के बाद दोनों के शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए घर वालों को सौंप दिया गया.
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