Delhi News: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हथियारों की सप्लाई करने वाले दो शातिर तस्करों को गिरफ्तार किया है. स्पेशल सेल की मानें तो यह दोनों तस्कर खालिस्तानियों को हथियार सप्लाई करने का काम करते हैं स्पेशल सेल ने इनके पास से 18 पिस्तौल और 60 जिंदा कारतूस बरामद किए हैं. स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव यादव की माने तो यह पूरा रैकेट सोशल मीडिया के जरिए चलाया जा रहा था.
स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव यादव ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि करीब 3 महीने पहले पुलिस को सोशल मीडिया पर हथियारों की सप्लाई करने वाले एक गैंग के बारे में पता चला था. पुलिस को पता चला कि फेसबुक पर खालिस्तान 20-20 नाम से एक पेज चलाया जा रहा था जिसमें हथियारों को बेचने की बात लिखी गई थी. पुलिस ने उस पेज पर काम करना शुरू किया. तफ्तीश के दौरान पुलिस को पता चला कि दो तस्कर दिल्ली के रोहिणी इलाके में बुधवार को हथियारों की सप्लाई करने के लिए आने वाले हैं. इसी सूचना के आधार पर पुलिस ने जाल बिछाया और राजेंद्र सिंह और बबलू नाम के दो तस्करों को गिरफ्तार कर लिया. जब इनकी तलाशी ली गई तो इनके पास से एक बैग बरामद हुआ उस बैग से पुलिस ने इनके पास से 18 पिस्तौल और 60 जिंदा कारतूस बरामद किए.
हथियारों के इन तस्करों तक पहुंचने के लिए दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का ही सहारा लिया और तकनीक की मदद से पुलिस इन तक पहुंच गई. स्पेशल सेल के सूत्रों की मानें तो अब तक खालिस्तानी आतंकियों को पाकिस्तान हथियार मुहैया करा रहा था. लेकिन एजेंसीज की सख्ती बढ़ने के बाद से खालिस्तानियों को हथियार नहीं मिल पा रहे थे. यही वजह है कि उन्होंने दूसरे तस्करों से संपर्क साधा.
पुलिस का कहना है कि जब उन्हें सोशल मीडिया पर बने पेज की जानकारी मिली और जब पुलिस ने उस पेज में एंट्री करने की कोशिश की तो एंट्री नही हो सकी. इसके बाद तकनीक की मदद से पुलिस ने उसमें एंट्री की. इसके बाद पुलिस को एक मोबाइल नंबर के बारे में पता लगा फिर पुलिस ने जब उस नंबर की डिटेल निकाली तो पता लगा कि यह मध्य प्रदेश का एक हथियार सप्लायर का है जो कि दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई गैंगस्टर को हथियार सप्लाई करता है और साथ ही साथ यह लोग खालिस्तानी समर्थकों को भी हथियार सप्लाई कर रहे हैं.
स्पेशल सेल की टीम ने जब आरोपियों से पूछताछ की तब आरोपी राजेंद्र ने बताया कि वह मध्य-प्रदेश के खरगोन का रहने वाला है और अपने भाई के साथ मिलकर वह इन अवैध हथियारों को बनाता है. उसके बाद वह हथियारों को दिल्ली पंजाब उत्तर प्रदेश और देश के अलग-अलग राज्यों में बदमाशों और खालिस्तानियों को सप्लाई करता है.
राजेंद्र से पूछताछ में पता चला कि उसका भाई सोशल मीडिया पर खालिस्तानी मूवमेंट के लिए जो पेज बना था. उससे जुड़ गया था इसी पेज के जरिए देश के अलग-अलग गैंगस्टर और खालिस्तानी समर्थकों को हथियार मुहैया करा रहे थे. स्पेशल सेल की माने तो यह सभी वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल कर रहे थे ताकि यह पुलिस से बचे रहें.
पुलिस के मुताबिक यह लोग एक एप्लीकेशन के जरिए भी आपस में बात करते थे सबसे खास बात यह है कि आरोपी राजेंद्र और उसके भाई नरेंद्र को वेब पेज बनाने का तरीका लॉरेंस बिश्नोई गैंग के सदस्यों ने सिखाया था. एक पिस्टल बनाने में आरोपी राजेंद्र को करीब 7 से 10 हजार खर्च करने पड़ते थे जबकि आगे वह खालिस्तानी समर्थकों या दूसरे गैंगस्टर को 25 से 50 हजार में बेचा करता था. पुलिस अब इस गैंग से जुड़े दूसरे बदमाशों की तलाश में है.