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नोटबंदी के दो सालः सरकार को हुआ कितना फायदा, कितना नुकसान, जानें- A टू Z
सरकार के इस फैसले से देश के जीडीपी में फौरी तौर पर कमी देखने को मिली थी. कई छोटे-मोटे मैन्यूफैक्चरिंग के यूनिट बंद हो गए थे. कैश के लिए लाइन में लगने के कारण करीब 115 लोगों की मौत हो गई थी.
नई दिल्लीः नोटबंदी के दो साल पूरे हो गए हैं. साल 2016 में आज की तारीख यानी 8 नवंबर को पीएम मोदी ने रात आठ बजे देश को संबोधित करते हुए पुराने नोटों को चलन से बाहर करने का ऐलान किया था. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा था, ''500 और 1000 के नोटों का आज से बाजर में चलन बंद हो जाएगा.'' पीएम के इस ऐलान के बाद देश भर में कैश किल्लत बेतहाशा बढ़ गई थी. नकदी के लिए हर तरफ हाहाकार था, बैंकों में लंबी-लंबी कतारें थी तो एटीएम पर भी लोगों का हुजूम था. लोगों को कई कई घंटे कैश के लिए लाइन में खड़ा रहना पड़ता था इसके बाद भी इस बात की कोई गारंटी नहीं होती थी कि उन्हें पैसे मिल ही जाएंगे.
एक तरफ सरकार ने इस कदम को जहां कालेधन, नक्सलवाद, आतंकवाद और भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार बताया था तो वहीं विपक्षी दलों ने इसे सरकार का तुगलकी फरमान बताया था. सरकार के इस कदम का कांग्रेस ने जमकर विरोध किया था देश भर में प्रदर्शन किया था. तत्कालीन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने विरोध दर्ज करने और नकदी के लिए भटक रहे लोगों से हमदर्दी जताने के लिए एटीएम की लाइन में जा खड़े हुए थे. कांग्रेस ने सरकार से इस फैसले के लिए उससे देश की जनता से माफी की मांगने की बात कही थी.
नोटबंदी के दौरान हुई थी 115 लोगों की मौत
सरकार के इस फैसले से देश के जीडीपी में फौरी तौर पर कमी देखने को मिली थी. कई छोटे-मोटे मैन्यूफैक्चरिंग के यूनिट बंद हो गए थे. कैश के लिए लाइन में लगने के कारण करीब 115 लोगों की मौत हो गई थी. धीरे धीरे रिजर्व बैंक ने 500 और 2000 के नए नोट को बाजार में उतारे. नए नोट एटीएम मशीन में फिट नहीं हो रहे थे इस कारण और भी लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा था.
सरकार ने 50 दिनों में 74 बार बदले थे नियम
आरबीआई और केंद्र सरकार ने मिलकर नोटबंदी के पहले 50 दिनों में 74 बार नोटबंदी को लेकर नोटिफिकेशन जारी किए थे जबकि कई फैसले वापस लिए गए थे. नोटबंदी के बाद सरकार ने आदेश जारी किया था कि तीस दिसंबर तक पुराने नोट बदले जाएंगे. लोगों के बीच कैश की कमी न हो इसके लिए शुरुआत में सरकार ने आदेश जारी किया कि एक व्यक्ति एक कार्ड से 2000 रुपये ही निकाल सकते हैं. जबकि चार हजार रुपये तक बदल सकते हैं. सरकार ने आदेश जारी कर पांच हजार या उससे ज्यादा के पुराने नोट जमा करने वालों के लिए पैन कार्ड अनिवार्य कर दिया था. लोगों ने सरकार के इस कदम की जमकर आलोचान की थी.
जब 99 प्रतिशत पुराने नोट आ गए वापस
विपक्ष जहां सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रही थी वहीं सरकार अपने बचाव में इस फैसले को सही ठहरा रही थी. आरबीआई के 2017-18 के वार्षिक रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि करीब 99 प्रतिशत पुराने नोट वापस आ गए हैं. आरबीआई ने बताया कि 15.31 लाख करोड़ रुपये जो कि पांच सौ (पुराने) और एक हजार के नोट थे जो कि वापस बैंकिंग सिस्टम में आ गया है. जबकि मार्केट में 15.417 लाख करोड़ रुपये का नोट चलन में था. हालांकि, नोटबंदी के वक्त अलग-अलग रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि करीब तीन से पांच लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं लौटेंगे और इस तरह सरकार को भारी मुनाफा होगा.
नोटबंदी को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा
आरबीआई की इस रिपोर्ट के बाद विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हो गए थे. कांग्रेस समेत तमाम दलों ने सरकार के उस दावे पर सवाल उठाया था जिसमें कहा गया था कि इस कदम से कालेधन पर अंकुश लगेगा. वहीं कई दलों ने यहा भी सवाल पूछा था कि नोटबंदी के दौरान कहा गया था कि इससे नक्सलियों के कमर टूटेंगे और जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी में कमी आएगी उस दावे का क्या हुआ था.
सरकार के दावों की खुली थी पोल
आरबीआई की रिपोर्ट के मुतालबिक इसका मतलब यह है कि मात्र 10,720 करोड़ रुपये चलन से बाहर हुए.
सरकार के फैसले का जेटली ने किया था बचाव
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार के इस फैसले का बचाव किया है और कहा है कि सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम सफल रहा. जेटली ने कहा कि सरकार के इस कदम के बाद ज्यादा लोगों ने टैक्स भरना शुरू किया है. उन्होंने कहा, ''नोटबंदी के पहले दो साल में लोगों ने 6.6 और 9 प्रतिशत लोगों ने अपना इनकम टैक्स भरा. जबकि नोटबंदी के बाद दो साल में 15 और 18 प्रतिशत लोगों ने अपना टैक्स जमा किया और तीसरे साल भी ऐसे ही बढ़ने की उम्मीद है.''
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