मुंबईः अंडर 19 के लिये वर्ल्ड कप खेलने वाले क्रिकेटर यशस्वी जयसवाल की कहानी बहुत ही दिलचस्प और संघर्ष भरी रही है. बचपन के संघर्ष को झेलते हुए इस बच्चे ने क्रिकेट खेलने का जज्बा कायम रखा. मुंबई में पानी पूरी और तबेले में काम करके क्रिकेट खेला. लेकिन जब उसके कोच का उसे सहारा मिला तो उसके सपनो ने उड़ान भरी और क्रिकेट के ग्राउंड का बादशाह बनने का रास्ता उसका खुल गया.


जी हां क्रिकेटर यशस्वी जयसवाल यूं तो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. उसके पिता मुंबई में काम करने के लिये आये थे, बचपन में पिता के साथ यशस्वी भी मुंबई आया.


आजाद मैदान में तमाम लड़को को क्रिकेट खेलते देखते देखते उसका भी मन क्रिकेट में लग गया और उसने भी ठान लिया कि एक दिन वो एक क्रिकेटर बनेगा. लेकिन पिता जब मुंबई में काम धंदा नही कर पाये तो इस शहर को छोड़कर जाने की सोच ली.


क्रिकेट खेलने के लिए रह गए मुंबई


यशस्वी को भी पिता अपने साथ उत्तर प्रदेश ले जाना चाहते थे लेकिन यशस्वी मुंबई छोड़कर जाने के लिए तैयार नही हुआ. यशस्वी को क्रिकेट खेलना था इस लिये वो अपने चाचा के पास रूक गया.


यशस्वी के कोच ज्वाला सिंह बताते हैं कि मुंबई में गुजारा करने और क्रिकेट खेलने के लिये यशस्वी ने पानी पूरी की दुकान पर काम किया, तबेले में नौकरी की और क्रिकेट खेलता रहा.


ज्वाला सिंह मुंबई में एक क्रिकेट एकेडमी चलाते हैं उनके मुताबिक जब आजाद मैदान में उनकी मुलाकात यशस्वी से हुई, उसके खेल को देखा, क्रिकेट को लेकर उसके जज्बे को देखा, साथ ही उसके संघर्ष को देखा तो उसकी कहानी कुछ उनकी कहानी से मिलती जुलती लगी.


कोच के घर रहकर खेलने लगे क्रिकेट


ज्वाला सिंह ने उसी समय निर्णय लिया कि वो यशस्वी को अपने साथ रखेगें, उसका पूरा खर्चा उठायेगे और उसे एक अच्छा क्रिकेटर बनायेगे. इस निर्णय के बाद यशस्वी अपने कोच ज्वाला सिंह के साथ उसके घर में रहने लगा.


ज्वाला सिंह के मुताबिक यशस्वी के घर वालों ने भी अपने बेटे की पूरी जिम्मेदारी उनके कोच को दे दी और आज ज्वाला सिंह की मेहनत रंग लायी है और उनका शिष्य अंडर 19 वर्ल्ड कप खेल रहा है. गुरू को उम्मीद है कि ये मैच इंडिया जीतेगी और यशस्वी जैसे क्रिकेटर दुनिया में आगे भी देश का नाम रोशन करेगें और उनकी मेहनत रंग लायेगी.


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