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साल 2000 से लगातार बढ़ रही भारतीयों की संपत्ति, तो क्या सब अमीर हो रहे हैं? देखिये क्या कहती है रिपोर्ट

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के लोग काफी तेजी से अमीर होते जा रहे हैं. इसके अनुसार भारत के वयस्कों के पास औसतन संपत्ति लगभग 14 लाख के आसपास है. 

यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड (यूबीएस) की एक रिपोर्ट आई है जिसे 'ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2023' नाम से जारी किया गया. इसमें बताया गया है कि भारत के लोग काफी तेजी से अमीर होते जा रहे हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के वयस्कों के पास औसतन संपत्ति लगभग 14 लाख के आसपास है. 

रिपोर्ट के अनुसार अगर देश में इसी तरह लोगों की संपत्ति बढ़ती गई तो जल्दी ही भारत के लोग अमीर हो जाएंगे. इसमें बताया गया है कि भारत के लोगों की संपत्ति ने साल 2000 के बाद से रफ्तार पकड़नी शुरू की थी. लेकिन, इनकी तुलना वैश्विक औसत संपत्ति से करें तो अभी भारत काफी पीछे है. भारतीय वयस्कों की दौलत वैश्विक औसत से पांच गुना कम है. यानी वैश्विक औसत लगभग 70 लाख रुपये है.

2008 से 2022 तक दुनियाभर के लोगों की संपत्ति में गिरावट 

1 जून, 2023 को पब्लिश की गई ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2023 में बताया गया कि साल 2008 से 2022 के बीच दुनियाभर में लोगों की संपत्ति में गिरावट दर्ज की गई है. दुनियाभर में साल 2022 में कुल निजी संपत्ति 454.4 ट्रिलियन डॉलर यानी लगभग 38 हजार लाख करोड़ रुपये हो गई है. जो कि पिछले साल यानी 2021 की कुल निजी संपत्ति की तुलना में 11.3 ट्रिलियन डॉलर यानी लगभग 940 लाख करोड़ रुपये कम है.

भारत में संपत्ति के साथ साथ बढ़ रही असमानता दर 

रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि संपत्ति के साथ-साथ भारत में असमानता दर भी काफी रफ्तार के आगे बढ़ रही है. आंकड़ों से समझें तो साल 2000 में भारत की कुल आबादी के सिर्फ 1 प्रतिशत के पास देश की 33.2 फीसदी संपत्ति थी. लेकिन यही 12 साल बाद यानी साल 2022 तक उस 1 फीसदी आबादी के पास 40.4 प्रतिशत संपत्ति हो गई है.

 ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2023 में बताया गया कि साल 2022 तक देश में कुल 8.49 लाख अरबपति थे. इनमें से 5,480 अरबपति ऐसे हैं जिनके पास 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा की संपत्ति है.

अब जानते हैं पड़ोसी देशों का हाल 

चीन - भारत के पड़ोसी देश चीन की बात करें तो साल 2021 में दोनों ही देशों की अर्थव्यवस्था में अच्छा खासा इजाफा हुआ था. 2021 में जहां भारत  की जीडीपी 9.1% की दर से बढ़ी तो वहीं पड़ोसी देश चीन की भी जीडीपी 8.4% दर से बढ़ी. हालांकि एक साल बाद ही दोनों देशों के जीडीपी में बड़ा फर्क देखा गया. 

साल में 2022 जहां भारत की जीडीपी 6.8% दर से बढ़ी, तो वहीं चीन की जीडीपी ग्रोथ रेट 3% ही रही. इसका कारण कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन को बताया गया. इसके अलावा चीन ने स्टॉक मार्केट में भी कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया. यही सब कारण है कि चीन में पहली बार प्रति व्यक्ति संपत्ति में कमी देखी गई. लेकिन प्रति व्यक्ति आय में कमी होने के बाद भी भारत और चीन के लोगों की औसत संपत्ति में पांच गुना का फर्क है. चीन में हर वयस्क की संपत्ति 75,731 डॉलर यानी लगभग 63 लाख रुपये या उससे ज्यादा है.  

मालदीव- भारत के पड़ोसी देशों में मालदीव भी आता है. इस देश में भी हर व्यस्क की संपत्ति भारत से ज्यादा है. मालदीव में  हर वयस्क की संपत्ति लगभग 63 लाख रुपये या उससे ज्यादा है.  

पाकिस्तान- बांग्लादेश का बुरा है हाल 

इसी रिपोर्ट के अनुसार भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान और नेपाल, म्यांमार जैसे देशों का काफी बुरा हाल है. रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान और नेपाल में हर वयस्क की संपत्ति लगभग 4 लाख रुपये है. वहीं म्यांमार यह आंकड़ा 6 लाख तो बांग्लादेश में 8 लाख है. 

भारत में अगले 5 साल में दोगुने हो जाएंगे करोड़पति

नाइट फ्रैंक की 'द वेल्थ रिपोर्ट 2023' में ये भी दावा किया गया है कि आने वाले 5 सालों में भारत में अरबपतियों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो जाएगी. साल 2022 में भारत में 161 अरबपति है जिसे बढ़कर 195 तक पहुंचने का दावा किया गया है.

2027 तक 16 लाख एनएचआई

नाइट फ्रैंक की इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2027 तक भारत में हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNI) की संख्या में भारी इजाफा होगा और ये बढ़कर 16 लाख के आंकड़े को पार कर जाएंगे. रिपोर्ट के अनुसार एचएनआई ही नहीं बल्कि अल्ट्रा-हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (UHNWI) की संख्या में भी बढ़त देखने को मिलेगी. 

क्या है हाई नेटवर्थ  और अल्ट्रा-हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स

हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNI) उस व्यक्ति को कहा जाता है या इस कैटेगरी में उस व्यक्ति को रखा जाता है जिसकी कुल संपत्ति 10 लाख डॉलर से ज्यादा हो. जबकि अल्ट्रा-हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स की कैटेगरी में वो व्यक्ति आते हैं जिनकी कुल संपत्ति 30 मिलियन डॉलर या इससे अधिक होती है. 

भारत में गरीबी तेजी से घट रही है

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की रिपोर्ट बताती है कि भारत में साल 2005 से लेकर 2006 में 55% से थोड़ा ज्यादा भारतीयों को बहुआयामी रूप से गरीब माना गया था. लेकिन यही आंकड़ा साल 2015-16 में घटकर 27.7 प्रतिशत हो गया और साल 2019-21 में और कम होकर 16.4 प्रतिशत रह गया. 

भारत में किसे गरीब माना जाता है 

भारत में किसी भी व्यक्ति को उसका आय गरीब बनाता है. गरीब में गिनती करने के लिए यह तय किया जाता है कि उस व्यक्ति को बेसिक कैलरी लेवल का खाना जुटाने के लिए कितनी आमदनी की जरूरत होती है.  गरीबी रेखा का निर्धारण भी इसी आधार पर किया दिया जाता है. बेसिक कैलरी लेवल का खाना जुटाने के लिए जितनी आमदनी चाहिए उससे कम कम कमाने वाला कोई भी व्यक्ति हमारे देश में गरीब है.  

हालांकि इस गरीबी रेखा निर्धारण में कई आयामो को नजरअंदाज कर दिया जाता है. उदाहरण के तौर पर समझे तो एक व्यक्ति है जिसके पास रहने को घर नहीं है और दूसरा व्यक्ति वो है जिसके पास बिजली कनेक्शन वाला हवादार मकान है. आमदनी के आधार पर ये दोनों ही व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे हो सकते हैं, लेकिन बेघर व्यक्ति की हालत मकान वाले के मुकाबले बदतर होती है. 

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