UCC In India: असम के ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने शुक्रवार (14 जुलाई) को यूसीसी को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि अगर यूसीसी देश में लागू की गई तो यह मोदी सरकार के पतन का कारण बनेगी.
एआईयूडीएफ प्रमुख ने दावा किया कि नार्थ ईस्ट के बाकी राज्य मिजोरम, मेघालय, नगालैंड और मणिपुर पहले ही यूसीसी को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार इसे (यूसीसी) कहां लागू करेगी? यह मोदी सरकार के पतन का कारण बनेगी.
'मुसलमानों का एक अल्लाह, एक नबी और एक कुरान'
अजमल ने संवाददाताओं से कहा, असम के मुस्लिमों से मेरा अनुरोध है कि वे यूसीसी पर सुझाव और टिप्पणी न दें. मुसलमानों के एक अल्लाह, एक आस्था, एक नबी (पैगंबर) और एक कुरान है. उनका कहना है कि उत्तर से लेकर दक्षिण और पश्चिम से पूर्व तक लोगों के बीच यूसीसी को लेकर मतभेद हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कई वर्षों से अपने चुनावी घोषणापत्र में लैंगिक न्याय के लिए यूसीसी की मांग करती आ रही है.
विधि आयोग ने 14 जून को राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस यूसीसी पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित अन्य लोगों से इस पर सुझाव मांगे थे. आज यूसीसी पर सुझाव देने का आखिरी दिन था. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सूत्रों का कहना है कि सरकार 20 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र के अंत तक यूसीसी का ड्राफ्ट सदन में पेश कर सकती है. लिहाजा यूसीसी को लेकर देश में काफी बहस हो रही है और इसको लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी यूसीसी के प्रारंभिक विचार को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ कानून की चीजें शरियत से ली गई हैं, और कुरान के मुताबिक शरियत से छेड़छाड़ करने का अधिकार तो खुद मुसलमान को भी नहीं है लिहाजा सरकार ऐसा कैसे कर सकती है.