UCC Issue: 'समान नागरिक संहिता विभाजनकारी', सीएम एमके स्टालिन की पार्टी DMK ने लॉ कमीशन को भेजी राय
Uniform Civil Code Issue: तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन की डीएमके ने लॉ कमीशन से कहा कि समान नागरिक संहिता से शांति में खलल होगी.
DMK On UCC: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (DMK) ने बुधवार (12 जुलाई) को कहा कि उसने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के खिलाफ विधि आयोग को अपना प्रतिवेदन सौंप दिया है. इसमें यूसीसी लागू नहीं करने की केंद्र से सिफारिश करने का आग्रह किया है.
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ दल डीएमके ने लॉ कमीशन को सौंपी गई अपनी दलील में कहा कि यूसीसी विभाजनकारी है. यह शांति व सद्भाव में खलल डालेगी. डीएमके ने अपनी दलील में डॉ भीम राव आंबेडकर के आश्वासन, संवैधानिक प्रावधानों, संविधान सभा की चर्चाओं, विषय पर कानून बनाने के राज्य के अधिकार, अल्पसंख्यकों के अधिकार, आदिवासियों के विशिष्ट रीति-रिवाज, हिंदू संयुक्त परिवार की अवधारणा, और जातिगत भेदभाव मिटाने के लिए एक समान जाति संहिता की जरूरत का उल्लेख किया है.
मणिपुर हिंसा का किया जिक्र
डीएमके ने विधि आयेाग से कहा कि भारत की सुंदरता सदा से इसकी विविधता में रही है. ऐसे में राजनीतिक फायदे के लिए यूसीसी जैसा विभाजनकारी कानून पेश करना शांति, स्थिरता, और तमिलनाडु में धार्मिक समूहों के बीच सद्भाव में खलल डालेगा. पार्टी ने कहा कि इसलिए लोगों के हित में इसकी जरूरत नहीं है.
डीएमके ने कहा कि जातीय या धार्मिक समूहों में टकराव मणिपुर जैसी व्यापक हिंसा की ओर ले जा सकता है जिसे रोक पाने में केंद्र और राज्य सरकारें असमर्थ हैं.
डीएमके ने क्या कहा?
डीएमके ने कहा कि सभी नागरिकों के अधिकारों पर यूसीसी के व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा. इसका तमिलनाडु में धार्मिक लोकाचार, कानून व्यवस्था, शांति और स्थिरता पर संभवत: विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा.
पार्टी ने कहा कि विवाह और तलाक पर केंद्र और राज्य, दोनों की समान शक्तियां हैं तथा कानून लागू करने के लिए राज्यों की शक्तियां छीनना असंवैधानिक तथा सहकारी संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है।
संविधान का किया जिक्र
डीएमके ने कहा कि इस तरह का यूसीसी संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत अपने धर्म का आचरण करने की स्वतंत्रता के अधिकार और अनुच्छेद 29 के तहत प्रदत्त अल्पसंख्यकों को मिले अधिकारों के खिलाफ है. इसने कहा कि विवाह और उत्तराधिकार के विषय पर यहां तक कि संविधान सभा के सदस्यों ने भी चिंता जताई थी.
डीएमके ने कहा कि आंबेडकर के आश्वासन पर मसौदा अनुच्छेद 35(मौजूदा अनुच्छेद 44) को संविधान सभा ने पारित किया था. आंबेडकर ने यूसीसी के मुद्दे पर आगाह करते हुए कहा था कि संसद पहले उन पर इसे लागू करे जो स्वैच्छिक रूप से यूसीसी से आबद्ध होना चाहते हैं.
इसके उलट, केंद्र सरकार अनिच्छुक अल्पसंख्यकों पर इसे थोपने की कोशिश कर रही, ताकि उनकी विशेष पहचान खत्म की जा सके. डीएमके ने कहा कि यह स्थापित तथ्य है कि राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत मूल अधिकारों को अमान्य नहीं करेंगे.