Uniform Civil Code: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से सेक्युलर सिविल कोड का जिक्र किया था. इसके बाद यूसीसी को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई और विरोध भी जताया गया. अब इस विरोध को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) का बयान भी सामने आया है. वीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल का कहना है कि जो कानून अभी बना ही नहीं या फिर आया ही नहीं, उस पर इतनी हाय-तौबा क्यों मची है?


उन्होंने आगे कहा कि जो अभी तक खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते थे, क्या वही सच्चे सांप्रदायिक नहीं? सेक्युलर सिविल कोड के विरोधी भी विचित्र हैं. उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर तरह-तरह के कुतर्क गढ़े जा रहे हैं. क्योंकि, संविधान का अनुच्छेद 44, समान अधिकार व समान नागरिक संहिता की बात करता है. ऐसे में कई उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में कई बार कहा जा चुका है कि हमारे जो अलग-अलग कानून हैं, उनमें विरोधाभास है. इसके साथ ही यह किसी धर्म से जुड़ा मामला नहीं है.


'जहां लागू वहां क्यों नहीं उठाते आवाज?'


विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि जहां पर यह दशकों से लागू है, वहां किसी को कोई समस्या नहीं तो अब क्या सिर्फ इसके विरोध के लिए आवाजें उठ रही हैं. इसका विरोध करने वाले क्या बाल विरोधी, महिला विरोधी, संविधान विरोधी या मानवाधिकार विरोधी नहीं हैं. वीएचपी ने आगे कहा कि जब यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात आती है तो निश्चित रूप से नारी के सशक्तीकरण की बात आती है, परिवार व्यवस्था को बेहतर करने की बात आती है. साथ ही बच्चों को अधिकार देने की बात आती है.


कुछ लोग नारी व बाल अधिकार विरोधी- VHP


वीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि कुछ लोग नारी व बाल अधिकार विरोधी हैं. जो विरोध कर रहे हैं उनको लगता है कि उनकी जमीन उनके पैरों तले से खिसक रही है, आखिर वे किस बात पर विरोध कर रहे हैं? सबसे बड़ी बात तो यह है कि अभी तक कानून आया ही नहीं. उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट को लेकर उत्तराखंड और गोवा का भी मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, उत्तराखंड ने हाल ही में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया. जबकि, गोवा में दशकों से यूनिफॉर्म सिविल कोड है.


विनोद बंसल ने कहा कि गोवा को लेकर किसी को इससे कोई नुकसान या समस्या पैदा नहीं हुई. इसका किसी धर्म से कुछ लेना-देना नहीं है. हालांकि, कुछ लोग हैं, जो हलाला की मलाई खाना चाहते हैं. वो लोग महिलाओं और बच्चों को वह अधिकार नहीं देना चाहते, जो देश के अन्य लोगों के पास हैं.


उन्होंने आगे कहा, यह बाल अधिकारों, महिला अधिकारों, परिवार व्यवस्था, भारतीय संस्कृति, स्वाभिमान से जुड़ा मुद्दा है. इसका विरोध वही कर सकते हैं, जो वास्तव में संविधान विरोधी, देश विरोधी और देश की संस्कृति के विरोधी हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड आने से उन्हें इनसे निजात मिलेगी.


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