मुझे कमान मिली तो सबसे पहले पार्टी में उदयपुर डिक्लेरेशन लागू करूंगा... अक्टूबर 2022 में कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से यह वादा किया था. खरगे का यह वादा थरूर के मेनिफेस्टो पर 20 साबित हुआ और वे अध्यक्षी जीत गए.
खरगे तब से कांग्रेस में कई प्रयोग कर रहे हैं. हाल ही में खरगे के नेतृत्व में कांग्रेस ने विपक्षी मोर्चे में शामिल होने की रजामंदी दे दी है. कांग्रेस 15 पार्टियों के साथ मिलकर देश की 300 सीटों पर लड़ने की तैयारी में है. कई दलों ने कांग्रेस की महत्वकांक्षा पर सवाल भी उठाया है.
दलों का कहना है कि कांग्रेस खुद के भीतर बदलाव नहीं कर पा रही है, वो कैसे चुनाव जीतेगी? विपक्षी दलों का कहना है कि कांग्रेस के पास न तो जिताऊ उम्मीदवार है और न ही चेहरा. कांग्रेस में जान फूंकने के लिए मई 2022 में चिंतन शिविर का आयोजन किया गया था.
इसी चिंतन शिविर में कांग्रेस के भीतर जान फूंकने के लिए एक डिक्लेरेशन बनाया गया था. उदयपुर डिक्लेरेशन को कांग्रेस 80-190 दिन में लागू करने की बात भी कही थी, लेकिन यह सफल नहीं हो पाया है.
दिलचस्प बात है कि मल्लिकार्जुन खरगे ने दयपुर डिक्लेरेशन के वन पोस्ट, वन पर्सन फॉर्मूले को खुद पर अब तक लागू नहीं किया है. ऐसे में कांग्रेस के भीतर दबी जुबान से यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या उदयपुर का चिंतन शिविर सिर्फ हार को भुलाने के लिए बुलाई गई थी?
उदयपुर डिक्लेरेशन में क्या था?
नव चिंतन संकल्प शिविर के आखिर में कांग्रेस ने 17 पन्नों का एक घोषणा पत्र जारी किया. इसमें राजनीतिक और सांगठनिक फेरबदल के बारे में जानकारी दी. कांग्रेस ने उदयपुर डिक्लेरेशन में कहा कि संगठन में 50 प्रतिशत पद 50 साल से कम उम्र के नेताओं को दी जाएगी.
कांग्रेस ने वन पोस्ट-वन पर्सन का फॉर्मूला भी लागू करने की बात कही. इसके अलावा एक परिवार से एक व्यक्ति को ही टिकट दिए जाने की बात कही गई. कांग्रेस ने संगठन में पद पर आसीन लोगों को कूलिंग पीरियड में भी भेजने की घोषणा की.
ब्लॉक से लेकर राज्य स्तर पर पद भरने के साथ ही कांग्रेस सभी राज्यों में पॉलिटिकल एक्सपर्ट कमेटी बनाने का ऐलान किया था. कांग्रेस ने इसे पार्टी में जान फूंकने का फॉर्मूला भी बताया था.
कांग्रेस में उदयपुर डिक्लेरेशन का हाल
डिसीजन मेकिंग में 50 से कम उम्र की भागीदारी नहीं- कांग्रेस में अभी 5 बड़े पद हैं, जो किसी भी रणनीतिक फैसले में शामिल होते हैं. यह पद है- राष्ट्रीय अध्यक्ष, कांग्रेस संसदीय बोर्ड के चेयरमैन, कोषाध्यक्ष, मीडिया प्रमुख और संगठन महासचिव.
80 साल के मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. 76 वर्षीय सोनिया गांधी वर्तमान में कांग्रेस संसदीय बोर्ड की चेयरमैन हैं. पवन बंसल के पास कोषाध्यक्ष के साथ-साथ प्रशासनिक विभागों की भी जिम्मेदारी है. बंसल की उम्र 74 साल है.
69 साल के जयराम रमेश कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन हैं, जबकि 60 वर्षीय केसी वेणुगोपाल कांग्रेस के नंबर-2 पोस्ट संगठन महासचिव पद पर हैं. इन पांचों पदों की औसत उम्र देखा जाए तो यह 72 के करीब है.
प्रभारी/महासचिव पद पर भी बुजुर्गों का कब्जा- कांग्रेस संगठन में महासचिव/प्रभारी का पद महत्वपूर्ण माना जाता है. प्रभारी महासचिव राज्य इकाई और हाईकमान के बीच कॉर्डिनेशन का काम करते हैं.
टिकट वितरण से लेकर चेहरा तय करने में प्रभारी महासचिव बड़ी भूमिका निभाते हैं. कांग्रेस हाईकमान किसी भी राज्य में संबंधित प्रभारी महासचिव को कन्फिडेंस में लिए बिना नहीं लेती है.
कांग्रेस में अभी 10 महासचिव और 19 प्रभारी हैं. 19 प्रभारी और महासचिव के पद पर भी वरिष्ठ नेता ही काबिज हैं. 79 साल के ओमान चांडी सबसे बुजुर्ग राष्ट्रीय महासचिव हैं. चांडी के पास आंध्र का प्रभार है.
प्रियंका गांधी सबसे कम उम्र (51 साल) की महासचिव हैं. 64 साल के भक्त चरण दास के पास मणिपुर, मिजोरम और बिहार का प्रभार है. इसी तरह 74 साल के पवन बंसल कोषाध्यक्ष के साथ-साथ प्रशासनिक विभागों के भी प्रभारी हैं.
कांग्रेस के भीतर तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, बंगाल और बिहार समेत 5 राज्यों में प्रभारी बदलने की चर्चा है. हालांकि, इन पदों पर 50 से कम उम्र के नेताओं को जगह मिलने की संभावनाएं कम है.
मुख्यमंत्रियों की औसत उम्र भी 66 साल- कांग्रेस की अभी 4 राज्यों में सरकार है. हाल ही में कांग्रेस ने कर्नाटक में 61 साल के डीके शिवकुमार की जगह 75 साल के सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया है.
राजस्थान में भी 72 साल के अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं. 45 साल के सचिन पायलट गहलोत से रेस में पिछड़ गए थे. वहीं छत्तीसगढ़ में 61 साल के भूपेश बघेल और हिमाचल प्रदेश में 59 साल के सुखविंदर सुक्खी मुख्यमंत्री हैं.
कांग्रेस मुख्यमंत्रियों की औसत उम्र की बात करे तो यह 66 साल से अधिक है. कांग्रेस की तुलना में बीजेपी की बात करें तो वर्तमान में बीजेपी के 10 मुख्यमंत्री हैं, जिनकी औसत उम्र करीब 57 साल हैं.
एक अन्य राष्ट्रीय पार्टी आप के मुख्यमंत्रियों की औसत उम्र 51 साल है.
उदयपुर डिक्लेरेशन यहां भी लागू नहीं
वन पर्सन, वन पोस्ट को खुद नहीं मान रहे खरगे- कांग्रेस ने उदयपुर डिक्लेरेशन में वन पोस्ट, वन पर्सन का फॉर्मूला लागू करने की बात कही थी. इसके मुताबिक एक व्यक्ति सिर्फ एक पद पर ही रह सकेंगे.
मध्य प्रदेश में कमलनाथ से नेता प्रतिपक्ष का पद लेकर इसे लागू करने की कवायद भी की गई, लेकिन बाद में यह भी ठंडे बस्ते में चला गया. खुद मल्लिकार्जुन खरगे पिछले 8 महीने से 2 पदों पर काबिज हैं.
अधीर रंजन चौधरी के पास भी 2 पद है. हाल में डीके शिवकुमार को कर्नाटक में उपमुख्यमंत्री बनाया गया है, लेकिन उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से नहीं हटाने की बात भी कांग्रेस ने कही है.
वन फैमिली, वन टिकट का फॉर्मूला लागू नहीं- उदयपुर डिक्लेरेशन में कांग्रेस ने वादा किया था कि एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट दिया जाएगा. यह फॉर्मूला भी हाल के कर्नाटक चुनाव में लागू नहीं हो पाया.
कांग्रेस ने बेंगलुरु के बीटीएम लेआउट से रामालिंगा रेड्डी और जयनगर सीट से उनकी बेटी सौम्या को टिकट दिया था. इसी तरह केएच मुनियप्पा को देवहनल्ली और उनकी बेटी रूपकला को कोलार गोल्ड फील्ड से उम्मीदवार बनाया गया था.
इसके अलावा एम कृष्णप्पा और उनके बेटे प्रियकृष्ण को भी कांग्रेस ने टिकट दिया था. यानी वन फैमिली, वन टिकट का फॉर्मूला भी कांग्रेस अब तक लागू नहीं कर पाई है.
संगठन में भी पद अब तक रिक्त- बंगाल, गुजरात, राजस्थान, बंगाल जैसे राज्यों में अब तक संगठन के रिक्त पद नहीं भरे गए हैं. चुनावी राज्य मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी नए सिरे से नियुक्तियां होनी थी, जो होल्ड है.
कांग्रेस उदयपुर डिक्लेरेशन में 6 महीने के भीतर रिक्त पदों को भरने की बात कही थी, जो पूरी नहीं हो पाई है.
शिमला के बाद सोनिया ने दी थी युवाओं को कमान
2003 में शिमला अधिवेशन के बाद सोनिया गांधी ने युवाओं को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी. आंध्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो सोनिया ने 54 साल के वाई. राजशेखर रेड्डी को मुख्यमंत्री बनाया. संगठन के अधिकांश टॉप पोस्ट पर अंडर-60 नेता थे.
2003 में 54 साल के अहमद पटेल सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार थे, जो संगठन में नंबर-2 का पद माना जाता था. सोनिया गांधी ने उस वक्त रणनीतिक फैसले के लिए 12 नेताओं की टीम बनाई, जिसे सुपर कॉप कहा गया.
सोनिया की इस टीम में अर्जुन सिंह, प्रणब मुखर्जी, मोतीलाल वोरा जैसे सीनियर नेता थे, तो गुलाम नबी आजाद, ऑस्कर फर्नांडिस, अहमद पटेल जैसे जूनियर नेताओं को भी शामिल किया गया था. सोनिया की इस टीम का उस वक्त औसत उम्र 60 के करीब था.