Udaipur Resolution: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) का नाम एक तरफ कांग्रेस के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के रूप में सामने आ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ उन्हें मुख्यमंत्री पद भी गंवाना मंजूर नहीं है. लगातार उनके बयानों से यह साफ होता जा रहा है कि वह सीएम पद पर बने रहना चाहते हैं, लेकिन अब उदयपुर रेजोल्यूशन उनकी राह का कांटा बनता नजर आ रहा है. दरअसल, इस संकल्प में ‘एक व्यक्ति और एक पद’ के सिद्धांत की बात कही गई है. 


बता दें कि, हाल ही में पार्टी हलकों में एक ऑनलाइन याचिका सामने आई थी, जिसमें उम्मीदवारों से कहा गया था कि अगर वे जीतते हैं तो उदयपुर घोषणा को पूरी तरह से लागू करने के लिए एक सार्वजनिक शपथ लें. याचिका पर तुरंत हस्ताक्षर करने वालों में राष्ट्रपति पद के लिए गहलोत के संभावित प्रतिद्वंद्वी शशि थरूर भी शामिल थे. यही एक व्यक्ति-एक पद का सिद्धांत अब उनके लिए अड़चन बनता जा रहा है. 


क्या है उदयपुर रेजोल्यूशन


उदयपुर रेजोल्यूशन में साफ कहा गया है कि कांग्रेस में ‘एक व्यक्ति, एक पद’ का सिद्धांत लागू होगा. साथ ही इस संकल्प में एक परिवार, एक टिकट के नियम की भी बात की गई थी. हालांकि, सचिन पायलट भी एक ही समय में डिप्टी सीएम और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. इसलिए यह भी माना जाता है कि कांग्रेस में यह नियम पूरी तरह कभी लागू नहीं हुआ है. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या गहलोत इस मुश्किल से पार पा सकेंगे या उन्हें एक पद को त्यागना होगा. 


उदयपुर चिंतन शिविर 


एक व्यक्ति-एक पद का सिद्धांत उदयपुर में पार्टी द्वारा घोषित संगठनात्मक सुधारों के एक समूह का हिस्सा था, जो युवा चेहरों को (50 से कम उम्र) नेतृत्व के पदों पर लाने के लिए घोषित किया गया था. उदयपुर चिंतन शिविर का आयोजन जी-23 नेताओं द्वारा पार्टी की लगातार चुनावी पराजय को देखते हुए संगठनात्मक सुधारों की बढ़ती मांगों को देखते हुए किया गया था. इसका मकसद पार्टी को फिर से जीवंत करना था. 


क्या कहती है उदयपुर घोषणा 



  • जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सभी रिक्त पदों को अगले 90 से 180 दिनों में भरा जाना है और इसके लिए जवाबदेही तय की गई है. संगठन को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रखंड कांग्रेस समितियों के अलावा मंडल कांग्रेस समितियों का भी गठन किया जाना है. 

  • राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के तीन नए विभाग बनाए जाएंगे, जिसमें सार्वजनिक अंतर्दृष्टि विभाग, एक राष्ट्रीय प्रशिक्षण संस्थान और एआईसीसी चुनाव प्रबंधन विभाग शामिल हैं. 

  • कोई व्यक्ति किसी पद को पांच साल तक सीमित कर सकता है, ताकि नए लोगों को अवसर मिल सकें. वे तीन साल की कूलिंग अवधि के बाद ही वापस लौट सके.

  • सुनिश्चित करें कि कांग्रेस कार्य समिति, प्रदेश कांग्रेस समितियों, जिला कांग्रेस समितियों, प्रखंड कांग्रेस समितियों और मंडल कांग्रेस समितियों के 50 प्रतिशत पदाधिकारी 50 साल से कम उम्र के हों.

  • "एक व्यक्ति, एक पद" के सिद्धांत का पालन किया जाना चाहिए. इसी तरह, "एक परिवार, एक टिकट" के सिद्धांत को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए. 

  • महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दों और फैसलों पर कांग्रेस अध्यक्ष को सलाह देने और उन निर्णयों को लागू करने में मदद करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस कार्य समिति में से एक समूह का गठन किया जाएगा. 

  • हर राज्य में, सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और पार्टी के लिए एक सामान्य राजनीतिक लाइन चलाने के लिए एक "राजनीतिक मामलों की समिति" होनी चाहिए. 

  • सभी मीडिया, सोशल मीडिया, राज्यों के अनुसंधान विभागों को सीधे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के अधीन रखा जाना चाहिए, ताकि पार्टी का संदेश देश के कोने-कोने में हर दिन फैल सके.


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