देश में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा पर बयान से उद्धव सरकार ने बनाई दूरी, क्या हिंदू वोट खिसकने का है डर?
राजनीतिक जानकारों की मानें तो शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अपना हिंदु वोटबैंक खिसकने के डर से इन सांप्रदायिक घटनाओं से बयान जारी करने से दूरी बना रहे हैं.
देश में इन दिनों दो समुदायों के बीच विभिन्न जगहों पर तनाव अपने चरम पर है. बीते दिनों हनुमान जयंती पर देश की राजधानी दिल्ली समेत कई जगहों पर हिंसा की खबरें सामने आईं हैं. जिसको लेकर देश के तमाम विपक्षी दल इन मामलों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी को देखते हुए हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं. इन हिंसाओं पर विपक्ष के नेताओं के साझा बयान जारी करने के लिए हस्ताक्षर लिये जा रहे हैं, पर शिवसेना ने इस हस्ताक्षर अभियान से दूरी बनाई है.
राजनीतिक जानकारों की मानें तो शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अपना हिंदु वोटबैंक खिसकने के डर से इन सांप्रदायिक घटनाओं से बयान जारी करने से दूरी बना रहे हैं. आपको बता दें कि देश में बढ़ रही इन सांप्रदायिक घटनाओं के मद्देनजर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्ष के नेताओं के साझा बयान के लिए हस्ताक्षर लिए जा रहे थे, लेकिन महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ साझा सरकार चला रही शिवसेना ने इस पर हस्ताक्षर करने से दूरी बनाई.
हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना को घेर रही है बीजेपी और एमएनएस
जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र में बीजेपी और एमएनएस हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना को घेर रही है. जिसके बाद से ही शिवसेना बैकफुट पर है शायद इसी वजह से विपक्ष के साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से शिवसेना अध्यक्ष और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दूरी बनाई हुई है. वहीं इन बयानों पर चुप्पी को लेकर महाराष्ट्र की नवनिर्माण सेना इन दिनों उद्धव सरकार पर हमलावर है. जिसको लेकर पिछले हफ्ते शिवसेना के नेता संजय राउत ने मनसे को लेकर शिवसेना पर करारा हमला बोला था. राउत ने कहा था कि हिंदुत्व शिवसेना के खून में है कृपा करते हमें कोई हिंदुत्व नहीं सिखाए.