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Ashadi Ekadashi: सीएम उद्धव ठाकरे ने पत्नी रश्मि के साथ विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में की महापूजा
महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर पत्नी रश्मि ठाकरे के साथ पंढरपुर के विट्ठल रुक्मिणी मंदिर में महापूजा की. भगवान विट्ठल को भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है.
![Ashadi Ekadashi: सीएम उद्धव ठाकरे ने पत्नी रश्मि के साथ विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में की महापूजा Uddhav Thackeray along with his wife Rashmi Thackeray performed the Maha Puja at Vitthal Rukmini temple Ashadi Ekadashi: सीएम उद्धव ठाकरे ने पत्नी रश्मि के साथ विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में की महापूजा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/07/20/4eda8b3f4f5a9c8776530bae5d2b3c42_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
सोलापुरः आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी पत्नी रश्मि ठाकरे के साथ पंढरपुर स्थित विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में महापूजा की. महाराष्ट्र में आषाढ़ी एकादशी पर मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी या पति द्वारा वार्षिक महापूजा में शामिल होने की लंबी परंपरा रही है.
मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में भारी बारिश के बीच ठाकरे पत्नी रश्मि के साथ सोमवार को निजी वाहन खुद चलाकर मुंबई से 360 किलोमीटर दूर पंढरपुर के लिए निकले. मुख्यमंत्री का काफिला सोमवार रात पंढरपुर पहुंचा, जहां भगवान विट्ठल और देवी रुक्मिणी का मंदिर है. एकादशी को ‘वारी’ तीर्थयात्रा का समापन होता है जिसमें श्रद्धालु पैदल पंढरपुर की यात्रा करते हैं. हालांकि, पिछले साल और इस बार भी कोविड-19 महामारी के कारण राज्य सरकार ने पैदल तीर्थयात्रा करने की अनुमति नहीं दी है.
भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं भगवान विट्ठल
भगवान विट्ठल को भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है. महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, तेलंगाना और आन्ध्रप्रदेश में मुख्यरूप से इनकी पूजा होती है. महाराष्ट्र के पंढरपुर में भगवान विट्ठल मुख्य मंदिर हैं. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां भगवान विठ्ठल के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता है.
आषाढ़ी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक नहीं होते शुभ कार्य
आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा को विशेष पुण्य बताया गया है. आषाढ़ मास की आखिरी यानि शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी या आषाढ़ी एकादशी भी कहा जाता है. देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होता है. इस दिन भगवान विष्णु का शयनकाल आरंभ होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस तिथि से ही भगवान विष्णु पाताला लोक में विश्राम के लिए प्रस्थान करते हैं. भगवान विष्णु का शयनकाल देवउठनी एकादशी को समाप्त होता है. चातुर्मास में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं.
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