Thackeray Demands Bharat Ratna For Veer Savarkar: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर को भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने की अपनी मांग दोहराई है. महाराष्ट्र के शीतकालीन सत्र में शामिल होने के लिए मंगलवार (17 दिसंबर, 2024) को नागपुर में एक प्रेस वार्ता को संबोधित की और भाजपा से सवाल करते हुए कहा कि वीर सावरकर को भारत रत्न कब देंगे. 


उद्धव ठाकरे ने कहा, “मैं पूछना चाहता हूं कि वीर सावरकर को भारत रत्न क्यों नहीं दिया जाना चाहिए. उन्हें ये सम्मान दिया जाना चाहिए. जब देवेंद्र फडणवीस सीएम थे, तब उन्होंने इस मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था, लेकिन उसका अभी तक कुछ हुआ नहीं. इसके बावजूद भी वीर सावरकर को भारत रत्न नहीं दिया जा रहा है. अब तो फडणवीस सीएम हैं. अब तो उनकी मांग पर विचार करना चाहिए… अब ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है तो भाजपा को वीर सावरकर पर बोलने का कोई अधिकार नहीं हैं.


भाजपा समेत कांग्रेस पर भी साधा निशाना


उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा और कहा, “मैं कांग्रेस और भाजपा दोनों से कहना चाहता हूं कि कांग्रेस को सावरकर पर निशाना साधना बंद कर देना चाहिए और भाजपा को नेहरू-नेहरू करना बंद कर दे. अतीत को छोड़ भविष्य पर ध्यान देने की जरूरत है. दोनों नेताओं ने अपने समय में जो भी निर्णय लिए, वे अपने युग के लिए उपयुक्त थे इसलिए प्रधानमंत्री मोदी को भी अब नेहरू का नाम बार-बार लेने से बचना चाहिए.”


शरद पवार ने साधी चुप्पी


वीर सावरकर को भारत रत्न दिए जाने की मांग पर ठाकरे के राजनीतिक सहयोगियों और प्रतिद्वंद्वियों की ओर से कई प्रतिक्रिया सामने आ रही है. हालांकि, शरद पवार ने इस मुद्दे को लेकर चुप्पी साधी हुई है. वहीं ता जितेंद्र आव्हाड ने कहा उन्हें नहीं पता कि उद्धव ठाकरे ने क्या मांग की या क्या कहा, इसलिए वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. 


हिंदुत्व त्याग चुके ठाकरे को बोलने का अधिकार नहीं 


वहीं दूसरी ओर ठाकरे के रुख को लेकर एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने इसकी आलोचना की है. पार्टी के नेता और कैबिनेट मंत्री भारत गोगावले ने कहना है कि उद्धव ठाकरे ने जो मांग की है वह ठीक है. महायुति के नेता वीर सावरकर को भारत रत्न देने के मामले पर फैसला करेंगे, लेकिन हिंदुत्व को त्याग चुके उद्धव ठाकरे को वीर सावरकर के बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है. 


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