मुंबई: उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास आघाड़ी पिछली देवेंद्र फडणवीस सरकार का एक और फैसला बदलने का मन बना रही है. महाराष्ट्र में बीफ बैन के बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार ने गाय और गोवंश की रक्षा के लिए गोवर्धन गोवंश सेवा केंद्र की शुरुआत की थी जिसे उद्धव ठाकरे सरकार अब गैर जरूरी समझ रही है.
पिछली बीजेपी-शिवसेना सरकार में गौशाला के निर्माण कार्य, गौवंश रक्षा, पशु संवर्धन और पशुपालन बढ़ाने के उद्देश्य से सेवा केंद्र बनाया गया था. अब महाराष्ट्र सरकार में दुग्ध और पशुपालन मंत्री सुनील केदार ने पिछली सरकार के इस फैसले पर समीक्षा की बात कही है.
सुनील केदार ने एक अखबार को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, "अभी तक हम किसी निर्णय पर नहीं पहुंचे हुए हैं. विभाग को पुरानी सरकार के इस फैसले को लेकर समीक्षा करने को कहा गया है. विभाग को एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है कि कितने फंड का इस्तेमाल कहां किया गया और इस स्कीम का कितना लाभ हुआ."
महाराष्ट्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि गोवर्धन गोवंश सेवा केंद्र (जीजीएसके) फंड अब नई सरकार जारी नहीं करेगी, क्योंकि ना ही कांग्रेस, ना एनसीपी और ना ही शिवसेना इस स्कीम को बढ़ाने के पक्ष में है. मौजूदा उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास आघाड़ी द्वारा गोवर्धन गोवंश सेवा केंद्र स्कीम को आगे ना बढ़ाने की एक वजह यह भी है कि अधिकतर गोवंश सेवा केंद्र आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े लोगों के हैं.
हालांकि इस मुद्दे पर एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना ने अपना आधिकरिक पक्ष नहीं रखा है, जबकि बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने शिवसेना पर तंज कसा है. सोमैया ने कहा, "एक और रोक, शिवसेना का एक बार फिर सरेंडर. कांग्रेस-एनसीपी के दबाव में गौरक्षा गोवंश रक्षा स्कीम रद्द किया जा रहा है. यह स्कीम बीजेपी और शिवसेना सरकार द्वारा लाई गई थी. छत्रपति शिवाजी महाराज को गो प्रतिपालक नाम से जाना जाता था."
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