उद्धव ठाकरे बुलेट ट्रेन को दिखा सकते हैं लाल झंडी, कहा- इसे पूरा करना नहीं है मेरा सपना
उद्धव ठाकरे का बयान साफ़ बताता है कि केंद्र सरकार को राज्य सरकार से बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए सहयोगा मिलना मुश्किल है.
नई दिल्लीः क्या प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन साल 2022 के अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएगा? क्या महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार प्रधानमंत्री का सपना साकार करने में मदद करेगी या उसमें रोड़े अटकाएंगी? सवाल इसलिए क्योंकि राज्य के सीएम उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र सामना को दिए इंटरव्यू में कहा कि बुलेट ट्रेन ये उनका सपना नहीं है. उद्धव ठाकरे के इस बयान से साफ़ संकेत मिल रहे हैं कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पूरा करने में राज्य सरकार सहियेगा करने की मानसिकता में नहीं है.
यानि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को अगर लाल झंडी राज्य सरकार दिखाती है तो प्रोजेक्ट पूरा होने में मुश्किलें आ सकती है. उद्धव ठाकरे ने अपने इंटरव्यू में इस प्रोजेक्ट को लेकर सवाल उपस्थित किए और कहा राज्य की मौजूदा आर्थिक परिस्थिति बुलेट ट्रेन जैसे प्रोजेक्ट में निवेश करने की अनुमति नहीं देती.
राज्य सरकार ने नहीं दी है अनुमति
उद्धव ठाकरे इंटरव्यू ने इंटरव्यू में कहा, ''महाराष्ट्र मे जो इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की जरूरत है उन्हें हमारे सरकार ने कोई संस्तुति नहीं दी है. लेकिन आज राज्य की आर्थिक परिस्थिती पर नजर डालें तो बुलेट ट्रेन की महाराष्ट्र को सही मे जरूरत है क्या इस पर विचार होना चाहिये. सिर्फ कोई कम ब्याज में लोन देने के लिए तैयार है लोन उठा लें और ऐसे महंगे प्रोजेक्ट्स पर काम करे इसका कोई मतलब नहीं है. बुलेट ट्रेन के लिए एक एक मिटींग कर के मुझे इसकी उपयुक्तता समझा दें, जरूरत समझा दें तो मैं मान जाऊंगा. केवल पंतप्रधान का ड्रीम प्रोजेक्ट है करके ये बुलेट ट्रेन बनाने का क्या मतलब है.''
उद्धव ठाकरे ने अपने इंटरव्यू में फडनवीस सरकार पर जमकर निशाना साधा. उद्धव ठाकरे ने कहा, ''राज्य की पिछली बीजेपी सरकार ने राज्य की प्रगति के लिए रोड मैप नहीं बनाकर बुलेट ट्रेन जैसे प्रोजेक्ट पर ध्यान दिया. क्या ऐसा करना सही था. लेकिन हम जनता के हित और राज्य की प्रगति के कामों पर ध्यान देंगे. जो काम जरुरी है वही किए जाएंगे.''
क्या यह प्रोजेक्ट रुक जाएगा?
उद्धव ठाकरे का ये बयान साफ़ बताता है कि केंद्र सरकार को राज्य सरकार से इस प्रोजेक्ट के लिए सहयोगा मिलना मुश्किल है. लेकिन, अगर राज्य सरकार रोड़े अटकाती है तो क्या ये प्रोजेक्ट रुक जाएगा. ऐसा नहीं है. प्रोजेक्ट बनेगा लेकिन उसमें देर लगेगी.
केंद्र सरकार को इस प्रोजेक्ट में राज्य सरकार से फंड और ज़मीन अधिग्रहण में सहयोगा चाहिए. 1.7 लाख करोड़ के इस प्रोजेक्ट में महाराष्ट्र सरकार 5000 करोड़ फंड देनेवाली थी, ये फंड अगर सरकार नहीं देती तो केंद्र सरकार प्रोजेक्ट को आगे ले जाएगी. लेकिन, केंद्र सरकार के लिए मुश्किल होगा ज़मीन अधिग्रहण करने में.
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन ने जारी किए आंकड़ों के मुताबिक़ अब तक सिर्फ आधी जमीन का ही अधिग्रहण हो पाया है. महाराष्ट्र से 431 हेक्टर जमीन का अधिग्रहण होना था लेकिन सिर्फ 81 हेक्टर जमीन का ही अधिग्रहण हो पाया है.
महाराष्ट्र में प्रोजेक्ट का हो रहा है विरोध
गुजरात से 940 हेक्टर जमीन का अधिग्रहण होना था लेकिन 617 हेक्टर जमीन अधिग्रहित हो पाई है. दादरा और नगर हवेली से 8.7 हेक्टर जमीन का अधिग्रहण होना था लेकिन 6.9 हेक्टर जमीन का अधिग्रहण हुआ है. बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए 1380 हेक्टर जमीन लगनी है लेकिन अबतक 705 हेक्टर जमीन ही अधिग्रहित हो पाई है.
इसके अलावा महाराष्ट्र के पालघर में इस प्रोजेक्ट को लेकर लोगों का ख़ासा विरोध है. लोग अपनी ज़मीन बुलेट ट्रेन के लिए देना नहीं चाहते हैं. राज्य सरकार लोगों के इस विरोध को वजह बताकर इस प्रोजेक्ट को रेड सिग्नल दिखा सकती हैं.
ऐसी स्थिति में राज्य सरकार की मदद के बिना प्रोजेक्ट के लिए ज़मीन हासिल करना मुश्किल काम होगा. लेकिन बीजेपी के नेता ये मानते हैं कि राज्य सरकार अगर मदद नहीं करती तो भी ये प्रोजेक्ट पूरा होकर रहेगा.
प्रवीण दरेकर का बयान
नेता विपक्ष प्रवीण दरेकर ने कहा, ''कुछ प्रोजेक्ट भविष्य के लिए होते हैं जिसका विचार आज करना होता है. पीएम मोदी ने भविष्य का विचार करक ये प्रोजेक्ट लाया है. राज्य सरकार की मदद के बिना भी ये प्रोजेक्ट होकर ही रहेगा.''
वहीं बीजेपी सांसद रावसाहेब दानवे ने कहा, ''सरकार की ओर से दिया जानेवाला फंड केंद्र सरकार ही देने जा रही है. ऐसे में इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में कोई मुशकिल नहीं आएगी.''
राज्य सरकार नहीं लेना चाहती है कर्ज
राज्य सरकार का कहना है कि राज्य पर पहले से ही 4 लाख करोड़ रूपये का क़र्ज़ है इसके अलावा मौजूदा प्रोजेक्टस के लिए और 2 लाख करोड़ का क़र्ज़ लेना है. ऐसे में बुलेट ट्रेन का बोझ राज्य सरकार उठाने पर विचार कर रही है.
बुलेट ट्रेन रफ़्तार का प्रतीक है. 320 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से चलनेवाली ये बुलेट ट्रेन तीन घंटों में मुंबई से अहमदाबाद पहुंच जाएगी. यानी तीन घंटों में 508 किलोमीटर का सफ़र तय करेगी. लेकिन, राज्यों और केंद्र के बीच इस प्रोजेक्ट को लेकर चल रहे मतभेद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार होने में देर निश्चित है.
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