Shiv Sena Politics: क्या महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में एक और ठाकरे की एंट्री होने वाली है. ये सवाल इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की पत्नी रश्मि ठाकरे (Rashmi Thackeray) एक के बाद एक कई सियासी आयोजनों में हिस्सा लेती नजर आ रहीं हैं. माना जा रहा है कि उनकी राजनीति में औपचारिक एंट्री की खातिर जमीन तैयार की जा रही है.
बालासाहब ठाकरे, उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे, आदित्य ठाकरे और अमित ठाकरे के बाद अब एक और ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति में दस्तक देतीं नजर आ रहीं हैं. रश्मि ठाकरे की मौजूदा पहचान उद्धव ठाकरे की पत्नी और आदित्य ठाकरे की मां की है, लेकिन हो सकता है कि जल्द ही वे एक शिव सेना नेता के तौर पर भी पहचानीं जाएं. हाल फिलहाल में उनकी गतिविधियों पर अगर गौर करें तो इसी संभावना को बल मिलता है.
महाविकास अघाडी ने शनिवार (17 दिसंबर) के दिन महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार को घेरने के लिए, एक महामोर्चे का आयोजन किया था. जून में सत्ता छिनने के बाद शिवसेना ठाकरे गुट, कांग्रेस और एनसीपी की ओर से मिलकर पहली बार इस तरह का शक्ति प्रदर्शन किया गया. मुद्दा था राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से छत्रपति शिवाजी का अपमान, महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद और महाराष्ट्र के औद्योगिक निवेश का गुजरात चला जाना.
नागपाडा से लेकर सीएसटी तक तीनों पार्टी के कार्यकर्ताओं के कंधे से कंधा मिलाकर चलने की तस्वीरें तो चर्चा का विषय रहीं हैं, तीन किलोमीटर का ये फासला रश्मि ठाकरे ने भी चलकर पूरा किया. इससे पहले इसी साल शिवाजी पार्क में आयोजित की गई ठाकरे गुट की दशहरा रैली में भी रश्मि ठाकरे मौजूद थीं और पार्क के इर्द गिर्द उनके नाम के बैनर-पोस्टर भी लगाए गए थे. जून में शिव सेना में हुई बगावत के बाद वे अक्सर सार्वजनिक कार्यकर्मों में दिखाई देनें लगीं जिसने इन कयासों को और ज्यादा बल दिया कि रश्मि ठाकरे शिव सेना में प्रवेश करेंगीं.
रश्मि ठाकरे का राजनीति में सॉफ्ट लॉन्च
इससे पहले भले ही रश्मि ठाकरे राजनीतिक आयोजनों में न आतीं हों लेकिन ठाकरे परिवार के करीबी बताते हैं कि राजनीति में उनकी दिलचस्पी हमेशा से रही और राज्य में हो रहे सियासी घटनक्रमों पर उनकी पैनी नजर रहती है. साल 2019 में जब उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से रिश्ता तोड़कर कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाने का फैसला किया तो बताते हैं कि रश्मि ठाकरे ने ही उन्हें मुख्यमंत्री पद स्वीकारने के लिए मनाया.
बालासाहब ठाकरे के निधन के बाद उद्धव ठाकरे पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादक बने, लेकिन जब उद्धव 2019 में मुख्यमंत्री बने तो उन्होने सामना के संपादक का पद छोड दिया. सभी को लगा कि अखबार के कार्यकारी संपादक और सांसद संजय राऊत को संपादक बनाया जाएगा, लेकिन उद्धव ने पत्नी रश्मि को संपादक बना दिया. इसे एक तरह से उनका राजनीति में सॉफ्ट लॉन्च माना गया. इसी साल की शुरुआत में जब उद्धव ठाकरे तबियत खराब होने के कारण सरकारी कामकाज नहीं संभाल रहे थे, तब भी सियासी हलकों में चर्चा थी कि रश्मि ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.
रश्मि ठाकरे का राजनीति में स्वागत है- बीजेपी
वैसे सियासी आयोजनों में रश्मि ठाकरे के देखे जाने से सत्ताधारी पार्टी बीजेपी में भी सुगबुगाहट है. बीजेपी का कहना है कि अगर रश्मि ठाकरे राजनीति में आतीं हैं तो उनका स्वागत है. बहरहाल शिव सेना की ओर से आधिकारिक तौर पर रश्मि ठाकरे के राजनीति में आने को लेकर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा रहा. पार्टी के नेता इसे कोरी चर्चा ही करार दे रहे हैं.
रश्मि ठाकरे अब तक पर्दे के पीछे से ही शिव सेना की सियासत में अपनी भूमिका अदा करतीं आई हैं. वे न तो कभी भाषण देतीं दिखाई दीं और न ही प्रेस कांफ्रेस करते हुए, लेकिन जिस तरह से हाल के दिनों में वे सार्वजनिक कार्यक्रमों में नजर आ रहीं हैं उससे ये चर्चा गर्म है कि बीएमसी चुनाव के पहले शायद पार्टी में उनका औपचारिक प्रवेश हो. बीएमसी चुनाव अगले चंद महीनों में ही होने हैं.