Shiv Sena Symbol Row: पार्टी और चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे को दिए जाने के खिलाफ उद्धव ठाकरे पहुंचे SC, याचिका में क्या है दावा?
Shiv Sena Symbol And Name Row: उद्धव ठाकरे चुनाव आयोग का फैसला रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे है. वो ईसी के शिवसेना पार्टी और चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे को दिए जाने के खिलाफ है.

Uddhav Thackeray Approaches Supreme Court Against EC: शिवसेना पार्टी और चुनाव चिह्न दोनों हाथ से निकल जाने के बाद उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. उन्होंने चुनाव आयोग का फैसला निरस्त करने की मांग की है. उद्धव ने अपनी याचिका में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को प्रतिवादी बनाया है. याचिका में कहा गया है कि एकनाथ शिंदे शिवसेना पार्टी के खिलाफ काम कर सदस्यता छोड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें ही पार्टी सौंप दी गई है.
उद्धव ने यह भी कहा है कि पार्टी के विधायक दल में हुई टूट को पार्टी की टूट नहीं माना जा सकता. पिछले साल शिवसेना में हुई बगावत के बाद उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र की सत्ता गंवानी पड़ी थी. पार्टी पर कब्जे को लेकर भी एकनाथ शिंदे ने दावा किया था. 17 फरवरी को चुनाव आयोग ने इस पर फैसला दिया. दोनों पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिह्न 'तीर-धनुष' और पार्टी के नाम पर शिंदे पक्ष के दावे को सही माना था.
'सिंबल ऑर्डर के पैराग्राफ 15 की शक्ति का गलत इस्तेमाल'
उद्धव ठाकरे की याचिका में दावा किया गया है कि चुनाव आयोग का फैसला कानूनी गलतियों से भरा है. आयोग ने सिंबल ऑर्डर के पैराग्राफ 15 के तहत मिली शक्ति का गलत इस्तेमाल किया है. उसने विधायक दल में हुई टूट को पार्टी में हुई टूट मान लिया. इतना ही नहीं चुनाव आयोग ने इस बात की भी उपेक्षा कर दी कि एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायक पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते सदस्यता के अयोग्य करार दिए जा सकते हैं.
शिंदे ने पार्टी के व्हिप का पालन नहीं किया. यह स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता छोड़ने जैसा है. फिर भी चुनाव आयोग ने शिंदे को ही पार्टी का हकदार बता दिया. याचिका में यह दावा भी किया गया है कि 2018 में शिवसेना पार्टी का संविधान बदला गया था. इसके तहत अध्यक्ष को काफी शक्तियां दी गई थीं. लेकिन चुनाव आयोग ने यह कहते हुए इसे मानने से मना कर दिया कि उसे आधिकारिक तौर पर पार्टी संविधान में बदलाव की जानकारी नहीं दी गई थी.
'संगठन का बहुमत आज भी उनके साथ'
उद्धव ठाकरे ने यह दावा भी किया है कि शिवसेना संगठन का बहुमत आज भी उनके साथ है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सभी 160 सदस्य उनके साथ हैं. 18 राज्य प्रभारी उनके साथ हैं, जबकि शिंदे के साथ 11 हैं. उनके साथ 19 लाख 41 हज़ार 815 प्राथमिक सदस्य हैं और शिंदे के साथ सिर्फ 4 लाख 48 हज़ार 318 सदस्य हैं.
वकील अमित आनंद तिवारी और वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत के ज़रिए दाखिल याचिका में यह भी कहा गया है कि शिवसेना विधायक दल में पिछले साल हुई टूट का मामला सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने लंबित है. यह मामला भी उससे जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट इस पर भी विस्तार से सुनवाई करे.फिलहाल चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगा दी जाए. उद्धव कैंप की तरफ से कल (21 फरवरी को) वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी जल्द सुनवाई की मांग चीफ जस्टिस के सामने रख सकते हैं.
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