Uddhav Thackeray Rally: शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न गंवाने के बाद अपनी पहली सार्वजनिक रैली में उद्धव ठाकरे ने रविवार (6 मार्च) को चुनाव आयोग, बीजेपी और शिंदे गुट पर जमकर निशाना साधा. चुनाव आयोग (ECI) ने हाल ही में उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका देते हुए शिवसेना (Shiv Sena) का नाम और सिंबल महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के गुट को दे दिया था. ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग के इस फैसले पर आपत्ति जताई थी. आपको बताते हैं उद्धव ठाकरे के भाषण की 5 बड़ी बातें.


1. उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि गोमूत्र छिड़कने से आजादी नहीं मिलती. क्या गोमूत्र छिड़क कर हमारे देश को आजादी मिली थी? क्या ऐसा हुआ कि गोमूत्र छिड़का गया और हमें आजादी मिल गई? ऐसा नहीं था. स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और फिर हमें आजादी मिली. 


2. चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि वह इस फैसले को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम ने कहा कि आप शिवसेना का चुनाव चिह्न और पार्टी का नाम चुरा सकते हैं, लेकिन आप पार्टी नहीं चुरा सकते. मैं विशेष रूप से चुनाव आयोग से कहना चाहता हूं कि अगर आपकी आंख में मोतियाबिंद नहीं है तो कृपया आकर देखें कि शिवसेना क्या है. ये 'चूना लगाओ आयोग' है. वे चुनाव आयोग के रूप में रहने के लायक नहीं हैं क्योंकि वे केंद्र के गुलाम हैं.


3. उद्धव ठाकरे ने कहा कि जिस आधार पर उन्होंने दावा किया है कि शिवसेना उनकी है, वह गलत है. मैं ऐसा इसलिए कह सकता हूं क्योंकि शिवसेना का गठन मेरे पिता ने किया था न कि चुनाव आयोग ने. चुनाव आयोग शिवसेना को तोड़ने की कोशिश नहीं कर रहा है, लेकिन आप हिंदुओं की मराठी मानुष की एकता को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.


4. बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी के बारे में कोई भी नहीं जानता था. ये वो वक्त था जब बालासाहेब ठाकरे उनके पीछे खड़े थे. वे अब ऐसा खराब व्यवहार कर रहे हैं. उनका काम है पहले उन लोगों को खत्म करो जिन्होंने एक बार तुम्हारा साथ दिया था. हमें चुनाव आयोग का फैसला मंजूर नहीं है. मैं इसे शिवसेना कहना जारी रखूंगा. 


5. उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया, उन्होंने सरदार पटेल का नाम चुराया. इसी तरह, उन्होंने सुभाष चंद्र बोस को चुरा लिया और बालासाहेब ठाकरे के साथ भी ऐसा ही किया. लोगों को ये तय करना होगा कि वे मुझे चाहते हैं या एकनाथ शिंदे को. मैं लोगों के फैसले को स्वीकार करूंगा, लेकिन चुनाव आयोग के फैसले को नहीं. 


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