Maharashtra: महाराष्ट्र के शिंदे बनाम उद्धव (Shinde vs Uddhav) विवाद में सुनवाई के मुद्दे तय करने पर दोनों पक्ष सहमत नहीं हो पाए हैं. उद्धव कैंप के वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को आज यह जानकारी दी. उन्होंने मामला 5 जजों की बजाय 7 जजों के बेंच में सुने जाने की भी मांग उठाई. सुप्रीम कोर्ट इस पर 10 जनवरी को विचार करेगा.


शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विधायकों की बगावत के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद शिंदे के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान जून और जुलाई के महीने में दाखिल कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. अगस्त में यह मामला संविधान पीठ को सौंपा गया था. 5 जजों की संविधान पीठ को शिंदे कैंप के 16 विधायकों की अयोग्यता, सरकार बनाने के लिए शिंदे को मिले निमंत्रण, नए स्पीकर के चुनाव जैसे कई मामलों पर उद्धव गुट की तरफ से उठाए गए सवालों पर विचार करना है.


कोर्ट ने मुद्दे तय करने को कहा था


एक नवंबर को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में बैठी 5 जजों की बेंच ने दोनों पक्षों से साथ मिलकर सभी याचिकाओं में उठाए गए मुख्य मुद्दों का संकलन तैयार करने को कहा था. कोर्ट ने दोनों पक्षों को 4 हफ्ते में संकलन जमा करवाने के लिए कहा था. बेंच ने उद्धव कैंप के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और शिंदे गुट के वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल से यह भी कहा था कि वह तय कर लें कि उनकी तरफ से कौन-कौन वकील किन बातों पर पक्ष रखेंगे.


नहीं बन पाई सहमति


पिछले हफ्ते उद्धव ठाकरे गुट के वकील देवदत्त कामत ने सुप्रीम कोर्ट से मामला जल्द सुनने का अनुरोध किया था. इसी कारण से 5 जजों की बेंच आज सुनवाई के लिए बैठी थी लेकिन कपिल सिब्बल ने यह बताया कि दोनों पक्ष सुनवाई के सवालों पर सहमत नहीं हो पाए हैं. शिंदे कैंप के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि इस बारे में कोर्ट के निर्देश पर जो बैठक होनी थी उसमें देरी हुई. यही वजह है कि मुद्दे तय नहीं हो पाए. सिब्बल ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वही सुनवाई के सवाल तय कर दे. महाराष्ट्र के राज्यपाल के लिए पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस बात का समर्थन किया.


सिब्बल ने उठाई बड़ी बेंच की मांग


कपिल सिबल जजों से कहा कि वह मामले की सुनवाई 7 जजों की बेंच में किए जाने की मांग कर रहे हैं क्योंकि 2016 में आए 'नबाम रेबिया' मामले के फैसले की समीक्षा किए जाने की जरूरत है. ध्यान रहे कि इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने यह कहा था कि अगर विधानसभा स्पीकर के खिलाफ खुद ही पद से हटाने का प्रस्ताव लंबित है तो वह दूसरे विधायकों की अयोग्यता पर विचार नहीं कर सकते. इसी को आधार बनाकर उद्धव सरकार के दौरान विधानसभा के डिप्टी स्पीकर को बागी विधायकों की अयोग्यता पर विचार करने से रोक दिया गया था. ऐसे में पूरे मामला इस बात से प्रभावित होता है कि नबाम रेबिया मामले का फैसला सही था या नहीं.


कोर्ट ने लिखित नोट जमा करवाने कहा


चीफ जस्टिस ने अपने साथी जजों से इस पर चर्चा की. उन्होंने कहा, "मेरे साथी जस्टिस पी एस नरसिम्हा का सुझाव है कि सिब्बल 3 पन्ने का संक्षिप्त नोट दूसरे पक्ष को दें. इसमें वह यह बताएं कि क्यों यह मामला 7 जजों की बेंच को भेजा जाना चाहिए. दूसरा पक्ष भी इसके खिलाफ अपनी दलील का नोट सिब्बल को सौंपे. अगली सुनवाई से 2 हफ्ते पहले यह सभी नोट सुप्रीम कोर्ट के पास भी जमा करवा दिए जाएं. 10 जनवरी को कोर्ट यह विचार करेगा कि मामले में आगे की सुनवाई किस तरह होनी है.


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