UGC-NET 2024: 'डिसमिस्ड, ध्यान वकालत में लगाएं, न्यूजपेपर पढ़कर आ गए...', CJI चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता को क्यों लगाई फटकार?
सीजेआई चंद्रचूड़ ने वकील से कहा कि आप क्यों आए हैं, याचिका छात्रों को या परीक्षा के उम्मीदवारों को फाइल करने दीजिए.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (29 जुलाई, 2024) को यूजीसी-नेट (राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा) पेपर लीक मामले में परीक्षा रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता वकील से कहा कि आप क्यों आए हैं, छात्रों को खुद आने दें. जस्टिस चंद्रचूड़ ने वकील से कहा कि अपना समय वकालत के मामलों में लगाएं, ये नहीं कि न्यूजपपेर में कुछ पढ़ा और याचिका दाखिल कर दी. सीजेआई चंद्रचूड़ इस बात पर नाराज हो गए कि याचिकाकर्ता कोई छात्र या एग्जाम का कैंडिडेट नहीं बल्कि वकील ने याचिका दाखिल की थी.
सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि जनहित याचिका को खारिज करने का फैसला उसके गुण-दोष को लेकर सुनाया गया निर्णय नहीं है. बेंच ने कहा कि याचिका को एक वकील ने दायर किया, न कि पीड़ित छात्रों ने. सीजेआई चंद्रचूड़ ने वकील से कहा, 'आप (वकील) क्यों आए हैं? छात्रों को खुद यहां आने दीजिए.' उन्होंने कहा, 'इस जनहित याचिका को अस्वीकार करते हुए हम इसके गुण-दोष पर कुछ नहीं कहेंगे.'
बेंच ने याचिका दायर करने वाले एडवोकेट उज्ज्वल गौड़ से कहा कि वह कानूनी मामलों पर ध्यान लगाएं और ऐसे मुद्दों को प्रभावित व्यक्तियों के लिए छोड़ दें. सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ ने वकील से कहा कि अपना ध्यान कानूनी मामलों और केस पर लगाएं. ये नहीं कि अखबार कुछ में पढ़ा और जनहित याचिका दाखिल कर दी.
यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने के केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की गई थी. पेपर लीक के शक के चलते परीक्षा रद्द करने का फैसला निर्णय लिया गया था. शिक्षा मंत्रालय ने 19 जून को यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने का आदेश दिया था और मामले की जांच केंद्रीय अन्वेशण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी थी. याचिका में यूजीसी-नेट परीक्षा की प्रस्तावित पुन: परीक्षा पर उस वक्त तक रोक लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था, जब तक कि सीबीआई प्रश्न पत्र लीक के आरोपों की जांच पूरी नहीं कर लेता.
याचिका में कहा गया है, 'याचिकाकर्ता का कहना है कि सीबीआई के हालिया निष्कर्षों को ध्यान में रखते हुए (पुन:परीक्षा आयोजित करने का) यह निर्णय न केवल मनमाना है, बल्कि अन्यायपूर्ण भी है. सीबीआई की जांच से यह तथ्य सामने आया है कि प्रश्न पत्र लीक का दावा करने वाले सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई है.' याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि परीक्षा को अनावश्यक रद्द करने से उन अभ्यर्थियों को काफी परेशानी हुई, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत की थी.
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