विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के चेयरमैन प्रोफेसर ममीडाला जगदीश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए नई शिक्षा नीति के अंतर्गत बड़े फैसलों को विस्तार से रखा. जिसमें डुअल प्रोग्राम या टू डिग्री प्रोग्राम की घोषणा की गई, जिसके अंतर्गत छात्र एक साथ दो डिग्रियों के लिए दाखिला लेकर डिग्री हासिल कर सकते हैं.
कैसे काम करेगा टू डिग्री प्रोग्राम?
इस वर्ष के शैक्षणिक सत्र से लागू दो डिग्री प्रोग्राम के लिए आपकी एक डिग्री फिजिकल मोड और ऑनलाइन मोड की हो सकती है या दो शैक्षणिक कार्यक्रम अलग-अलग विश्वविद्यालयों से हो सकते हैं या दोनों डिग्रियां ऑनलाइन मोड के जरिए भी हो सकती हैं. यानी यूजीसी द्वारा छात्रों को पूरी स्वतंत्रता दी गई है कि वो अपनी पसंद के अनुसार अपना कोर्स, विश्वविद्यालय या डिग्री हासिल करने का माध्यम चुन सकते हैं, बशर्ते ऐसा करने में उनकी कक्षाओं का समय टकराना नहीं चाहिए. छात्र एक साथ 2 कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए सक्षम हैं तो उन्हें ऐसा करने के लिए यूजीसी द्वारा इजाजत फिलहाल दे दी गई है, लेकिन यह तब तक मान्य नहीं होगा जब तक कि विश्वविद्यालय स्तर पर इसे विश्वविद्यालय की सांविधिक निकाय (Statutory Body) हरी झंडी नही दिखा देती है.
समान स्तर की डिग्री पर लागू होगा नियम
यूजीसी द्वारा दिए दिशा-निर्देशों के अनुसार यह किसी भी कार्यक्रम के लिए लागू है जहां लेक्चर के जरिए शिक्षा दी जाती है, जैसे कि स्नातक (Undergraduate) या स्नातकोत्तर (Post- Graduate) या डिप्लोमा... लेकिन यह पीएचडी जैसे गंभीर शोधकार्य कोर्स के लिए लागू नहीं है. साथ ही यह समान स्तर की डिग्री पर लागू होगा. जैसे ग्रेजुएशन करने वाला छात्र एक साथ पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री के लिए अप्लाई नहीं कर सकता है.
अटेंडेंस को लेकर भी नियमों को कॉलेजों/विश्वविद्यालयों द्वारा ही तय किया जाएगा. UGC ने यह भी साफ कर दिया है कि दो डिग्री प्रोग्राम को लागू करना विश्वविद्यालय के लिए वैकल्पिक है. इस कोर्स का जल्द आयोजित होने वाले CUET (कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि ऑनलाइन डिग्री के लिए एंट्रेंस एग्जाम की जरूरत नहीं होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि सीटों को लेकर मारामारी नही होती है. ऑनलाइन मोड में असीमित सीटें होंगी जिससे विश्वविद्यालय पर कोई दबाव नहीं पड़ेगा.
प्रोफेसर जगदीश कहते हैं कि, "फिजिकल और ऑनलाइन मोड दोनों महत्वपूर्ण हैं. यहां हमारा दृष्टिकोण यह है कि फिजिकल के लिए हम सीमित सीटों के कारण केवल 4-5 प्रतिशत छात्रों को ही प्रवेश देते हैं, लेकिन एक साथ दो डिग्री प्रोग्राम के जरिए विश्वविद्यालयों को और भी अधिक अधिकार प्राप्त होंगे. डबल डिग्री का उदाहरण बनकर भारत पूरी दुनिया में मिसाल कायम करेगा."
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