उज्जैन के महाकाल मंदिर में रोज हजारों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं. नोटबंदी के बाद मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या कम हुई तो मंदिर को कैशलेस करने का फैसला लिया गया. लेकिन अब श्रद्धालु फिर परेशान हैं क्योंकि पुजारी कैशलेस के विरोध में आ गए हैं.
11 दिन पहले महाकाल मंदिर कैशलेस हुआ था यानि मंदिर में जितना भी दान आएगा वो डिजिटल पेमेंट से दिया जाएगा लेकिन अब यहां के पुजारियों का कहना है कि पूजा के दौरान संकल्प लेने के लिए हाथ में नकद रखना जरूरी है इसीलिए नकद नहीं तो संकल्प नहीं.
पंडितों के विरोध के बीच जिसे सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है वो श्रद्धालु हैं. भक्तों के मुताबिक मंदिर में कोई भी काम कैश के बिना नहीं हो रहा. महाकाल मंदिर में रोजाना 10 हजार भक्त दर्शन के लिए आते हैं. नोटबंदी के बाद भक्तों की संख्या तीस फीसद घटी है यानि अब करीब सात हजार भक्त रोज आते हैं.. एक पुजारी की कमाई हर महीने लगभग 50 से 60 हजार रुपये होती है लेकिन नोटबंदी से पड़ी चोट के बाद पुजारी शास्त्रों का सहारा ले रहे हैं.
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है यहां पहुंचने वाले सैकड़ों श्रद्धालुओं को नोटबंदी में कैश की किल्लत से बचाने के लिए ही मंदिर को कैशलेस किया गया था मंदिर को कैशलेस दान तो मिल रहा है लेकिन पुजारियों के विरोध के बाद भक्तों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है.
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