उज्जैन: उज्जैन पुलिस ने कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे की कस्टडी को लेकर की गई कागजी खानापूर्ति की पूरी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दी गई है. उत्तर प्रदेश पुलिस के एसटीएफ के उपनिरीक्षक को एसएसपी का लेटर दिखाने के बाद दस्तावेज सौंपे गए हैं.
उज्जैन में 9 जुलाई को पुलिस ने विकास दुबे को कस्टडी में लिया था. उसकी उज्जैन में औपचारिक गिरफ्तारी नहीं हो पाई, लेकिन उसकी कस्टडी से लेकर सुपुर्दगी का पंचनामा बनाया गया था. उस समय उज्जैन के पुलिस अधिकारियों और यूपी एसटीएफ के अधिकारी पूरी तरह व्यस्त थे, इसलिए पूरी रिपोर्ट उज्जैन पुलिस के पास ही रह गई थी.
पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि यूपी एसटीएफ के एक उपनिरीक्षक एसएसपी का लेटर लेकर उज्जैन आए थे. उन्हें सभी दस्तावेज सौंप दिए गए हैं. बताया जाता है कि उज्जैन पुलिस ने विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद उसका एक वीडियो भी बनाया था. इस वीडियो की सीडी भी यूपी एसटीएफ को सौंप दी गई है. हालांकि पुलिस अधिकारियों ने उज्जैन में औपचारिक गिरफ्तारी नहीं लेने की वजह से इसकी पुष्टि नहीं की जा रही है.
इसलिए बेखौफ़ होकर बातें करने लगा
उज्जैन से विकास दुबे को सफारी गाड़ी में बैठाकर उत्तर प्रदेश ले जाया जा रहा था. उस समय उज्जैन पुलिस के एक इंस्पेक्टर भी उसी गाड़ी में सवार थे. उनके अलावा यूपी एसटीएफ के सीएसपी रैंक के अधिकारी भी गाड़ी में बैठे हुए थे.
जब विकास दुबे से पूछताछ हुई तो विकास ने यूपी एसटीएफ के सीएसपी से पहचान निकाल ली. विकास दुबे ने उन्हें यह भी कहा कि वे 15 साल पहले मिल चुके हैं. उस समय वर्तमान सीएसपी सब इंस्पेक्टर हुआ करते थे. इस पहचान के बाद विकास बिल्कुल निश्चिंत हो गया था और वह फटाफट पुलिस को जानकारी देने लगा था.
इंदौर का टिकट लिया और उज्जैन उतर गया
उज्जैन एसपी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि जब विकास दुबे को पकड़ा गया था उस समय उसके पास से झालावाड़ से इंदौर तक का टिकट मिला था. वह बाबू ट्रेवल्स की एक बस से उज्जैन पहुंचा था. विकास दुबे ने इंदौर तक का टिकट क्यों लिया था? इस बारे में उससे काफी पूछताछ की गई, लेकिन वह गुमराह करता रहा. उज्जैन पुलिस यह भी आशंका जता रही है कि संभवत: उज्जैन में देव दर्शन करने के बाद वह इंदौर की निचली कोर्ट में भी सरेंडर कर सकता था.
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