नई दिल्ली: ब्रिटेन ने भारत आने वाले अपने यात्रियों के लिए एडवाइजरी जारी की है और जम्मू-कश्मीर का खास तौर पर जिक्र करते हुए कहा कि यहां जाने से परहेज करें. विदेशी एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय (एफसीओ) ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से जारी किए गए आदेश का भी जिक्र किया है, जिसमें अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों से लौटने के लिए कहा गया है. एफसीओ ने बम, ग्रेनेड हमले, गोलीबारी और अपहरण सहित अप्रत्याशित हिंसा का खतरा जताया है. ब्रिटेन सरकार ने कहा कि एफसीओ जम्मू शहर, एयर माध्यम से जम्मू की यात्रा और लद्दाख को छोड़कर जम्मू-कश्मीर के अन्य हिस्सों में नहीं जाने की सलाह देता है.


एफसीओ ने कहा, ''2 अगस्त 2019 को भारतीय मीडिया ने रिपोर्ट किया कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने पर्यटकों और अमरनाथ यात्रियों को सलाह दी है कि वे कश्मीर घाटी में अपने प्रवास को तुरंत रोक दें और सुरक्षा खतरों के कारण जल्द से जल्द घर लौटने के लिए आवश्यक उपाय करें. नई दिल्ली स्थिति ब्रिटिश हाई कमीशन पूरी घटना की निगरानी कर रहा है. यदि आप जम्मू और कश्मीर में हैं, तो आपको सतर्क रहना चाहिए, स्थानीय अधिकारियों की सलाह का पालन करना चाहिए.


एफसीओ ने एडवाजरी में कहा, ''जम्मू-कश्मीर में सैन्य ठीकानों और अन्य जगहों पर कई आतंकी हमले हुए हैं. 14 फरवरी 2019 को आतंकियों ने भारतीय सुरक्षाबलों को निशाना बनाते हुए जम्मू-श्रीनगर के बीच हाईवे पर हमला किया और कई मारे गए.'' एफसीओ ने सुंजवान में हुए हमले और विरोध प्रदर्शनों का भी जिक्र किया. विदेशी एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय ने कहा, ''आपको सतर्क रहना चाहिए और स्थानीय मीडिया की निगरानी करनी चाहिए और स्थानीय अधिकारियों और अपनी यात्रा कंपनी की सलाह का पालन करना चाहिए.''


क्यों बढ़ी हलचल?


आपको बता दें कि पिछले दिनों केंद्र सरकार ने 10 हजार अतिरिक्त सुरक्षाबल भेजे थे और अमरनाथ यात्रियों से कहा कि वह वापस लौट जाएं. यही नहीं पिछले दिनों एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि केंद्र ने 28 हजार अतिरिक्त जवानों को जम्मू-कश्मीर भेजने का फैसला किया है. हालांकि बाद में केंद्र ने इस दावे को खारिज किया. जम्मू-कश्मीर से 35A हटाने को लेकर भी कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है.


कांग्रेस का मोदी सरकार हमला


अमरनाथ यात्रा रोके जाने की कांग्रेस ने निंदा की है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ''कल गृह मंत्रालय ने अमरनाथ यात्रा के यात्रियों, पर्यटकों से वापस लौटने को कहा. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. पहले जब अमरनाथ यात्रा पर हमले हुए तो यात्रा महज कुछ वक्त के लिए सस्पेंड रही. चाहे कोई भी सरकार हो ऐसी एडवाइजरी कभी नहीं आई. हम इसकी निंदा करते हैं.''


उमर ने की राज्यपाल से मुलाकात


इन गतिविधियों के मद्देनजर स्थानीय पार्टियां कई तरह की आशंका जता रही है. आज ही पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की. राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि राज्य को संवैधानिक प्रावधानों में किसी भी बदलाव के बारे में कोई जानकारी नहीं है और यह आश्वासन दिया कि अतिरिक्त अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती विशुद्ध रूप से सुरक्षा कारणों से उठाया गया कदम है.


राजभवन की ओर से यहां जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल को बताया कि सुरक्षा स्थिति इस तरह से पैदा हुई है जिस पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता थी. राज्यपाल ने कहा, ‘‘अमरनाथ यात्रा पर आतंकवादी हमलों के संबंध में सुरक्षा एजेंसियों को विश्वसनीय जानकारी मिली थी. नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी बढ़ा दी गई जिसका सेना ने प्रभावी ढंग से जवाब दिया गया.’’राज्यपाल ने राज्य के राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा है कि वे अपने समर्थकों से शांत रहने और घाटी में ‘‘बढ़ा-चढ़ा कर फैलाई गई अफवाहों’’ पर विश्वास न करने के लिए कहें.


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वहीं उमर अब्दुल्ला ने कहा, “उन्होंने (राज्यपाल) हमें आश्वासन दिया कि अनुच्छेद 370 या अनुच्छेद 35 ए (रद्द किए जाने पर) या परिसीमन (राज्य के निर्वाचन क्षेत्रों की) पर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. ” उन्होंने कहा, “हम राज्य की स्थिति पर सरकार की तरफ से संसद में बयान चाहते हैं.”


महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल


पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी कश्मीर को लेकर बयान दिया. उन्होंने कहा, ''अगर यहां कुछ करने वाले नहीं है तो यहां से टूरिस्ट और यात्रियों को क्यों भगाया गया. या NIT के छात्रों को क्यों कहा जा रहा है कि अपने घरों को वापस चले जाइये?''


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