देश में इन दिनों बुलडोज़र काफ़ी एक्शन में भी हैं और चर्चाओं में भी. इसके एक्शन पर सियासत इतनी गरमाई हुई है कि देश की सबसे बड़ी अदालत में भी इनके कारनामों की चर्चा है. देश में सियासत का बवंडर खड़ा करने वाले और कुछ नेताओं को भी राजनीतिक ख्याति और पहचान देने वाले इस बुलडोज़र के भारत में नए घर ख़ुद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन भी पहुंचे.
गुजरात से अपने दो दिनी भारत दौरे की शुरुआत करने वाले ब्रिटिश प्रधानमंत्री वड़ोदरा इलाक़े के हलोल में बनी जेसीबी कंपनी की नई फ़ैक्ट्री का उद्घाटन करने पहुंचे. ब्रिटेन से अपना कारोबार बढ़ाते हुए क़रीब 40 साल पहले भारत पहुंची जेसीबी कंपनी भारत ही नहीं दुनिया में बुलडोज़र बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है. भारत में अब तक चार लाख से ज़्यादा बुलडोज़र बेच चुकी इस कंपनी अपने इस छठे और नए प्लांट के सहारे दुनियाभर में इन मशीनों की सप्लाई बढ़ाने में जुटी है.
उद्घाटन कार्यक्रम के बाद एबीपी न्यूज़ ने जेसीबी इंडिया के एमडी दीपक शेट्टी से बात की तो उन्होंने बताया कि यह नई निर्माण इकाई मेक इन इंडिया का भी नया नमूना है. क्योंकि क़रीब एक हजार करोड़ रुपये की लागत से बनी इस फ़ैक्ट्री के ज़रिए दुनिया के 220 देशों में जेसीबी के कंस्ट्रक्शन उपकरणों के पुर्ज़े सप्लाई किए जाएंगे. साथ ही गुजरात में लगाई गई इस फ़ैक्ट्री की एक ख़ासियत यह भी है कि इसमें 40 फ़ीसदी महिलाएं काम करेंगी.
कंपनी के मुखिया दीपक शेट्टी ने कही ये बात
हालांकि जब कंपनी के सबसे प्रचलित उपकरण बुलडोज़र पर गरमाई चर्चाओं और सियासत पर सवाल किया गया तो कंपनी के मुखिया दीपक शेट्टी उसे सफ़ाई से टाल गए. उन्होंने कहा कि हम तो निर्माण कार्यों के लिए इस मशीन को बनाते हैं. साथ ही इस बात का भी संतोष है कि इसके सहारे देश में कई लोग रोज़गार भी हासिल करते हैं. बाक़ी लोग इसका अलग-अलग इस्तेमाल करते हैं.
महत्वपूर्ण है कि कंपनी का बुलडोज़र शहरी इलाक़ों में अधिकतर अतिक्रमण रोधी मुहिमों में नज़र आता है. ठीक वैसे ही जैसे दो दिन पहले जहांगीरपुरी इलाक़े से आई एमसीडी की कार्रवाई की तस्वीरों में नज़र आया. सियासी विवादों से अलग एक असलियत यह भी है कि भारत में तेज़ी से बढ़ते ढांचागत निर्माण के मद्देनज़र कंस्ट्रक्शन उपकरणों की ज़रूरत और खपत बढ़ी है. इंडियन कंस्ट्रक्शन इक्यूपमेंट मैन्यूफैक्चरर एसोसिएशन के आंकड़े बताते हैं कि साल 2020 में हुई 6500 निर्माण उपकरणों की बिक्री में आधे से ज़्यादा की हिस्सेदारी अकेले जेसीबी की थी.
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