ब्रिटेन के रेगुलेटर ने 12-15 साल के किशोर आयुवर्ग के लिए Pfizer वैक्सीन को दी मंजूरी, कहा- गहन समीक्षा के बाद पाया सुरक्षित
ब्रिटेन के दवा नियामक ने शुक्रवार को कहा कि काफी गहन समीक्षा के बाद यह पाया गया कि फाइजर-बायोटेकी की वैक्सीन 12-15 साल के किशोर के लिए सुरक्षित है.
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ब्रिटेन के रेगुलेटर ने फाइजर-बायोएनटेक की तरफ से तैयार की गई कोरोना वैक्सीन को 12 से 15 साल के किशोर आयुवर्ग को लगाने की मंजूरी दे दी है. ब्रिटेन के दवा नियामक ने शुक्रवार को कहा कि काफी गहन समीक्षा के बाद यह पाया गया कि फाइजर-बायोटेकी की वैक्सीन 12-15 साल के किशोर के लिए सुरक्षित है. इसी तरह का आकलन अमेरिकी और यूरोपीय यूनियन की तरफ से भी फाइजर की वैक्सीन के लिए किया गया था.
गौरतलब है कि यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (ईएमए) ने फाइजर और बायोएनटेक की ओर से विकसित कोरोना वायरस रोधी टीकों को 12 से 15 साल तक के बच्चों को लगाये जाने की पिछले महीने ही सिफारिश की थी. फाइजर-बायोएनटेक के टीके को 27 देशों के यूरोपीय संघ में सबसे पहले मंजूरी मिली थी और दिसंबर में 16 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों को लगाने के लिए इसे लाइसेंस प्रदान किया गया था.
#BREAKING UK regulator approves Pfizer vaccine for 12 to 15-year-olds pic.twitter.com/YcoZLxlEzT
— AFP News Agency (@AFP) June 4, 2021
टीके की समीक्षा करने वाली EMA के प्रमुख मार्को कावलेरी ने कहा था- ‘‘एक सुरक्षित और प्रभावी टीके की सुरक्षा किशोर आबादी को प्रदान करना महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है.’’ उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ के नियामक को बच्चों और किशोरों के लिए टीके के इस्तेमाल को मंजूरी देने के लिए आवश्यक आंकड़े मिले थे और उन्होंने इसे कोविड-19 के खिलाफ अत्यंत प्रभावशाली पाया है.
अमेरिका में 2,000 किशोरों पर एक अध्ययन किया गया और परिणाम सामने आये. उन्होंने कहा था- ‘‘टीका काफी सुरक्षित पाया गया और इस आयुवर्ग में भी टीके के दुष्प्रभाव वैसे ही थे जैसे कम उम्र के वयस्कों में देखे गये और कोई चिंता की बात नजर नहीं आई.’’ उन्होंने बताया कि इस फैसले पर यूरोपीय आयोग की मुहर लगना जरूरी है और अलग-अलग देशों के नियामकों को तय करना होगा कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को टीका लगाया जाएगा या नहीं.
इससे पहले कनाडा और अमेरिका के नियामकों ने पिछले अप्रैल में इसी तरह का फैसला किया था. विकसित देश अपनी अधिक से अधिक आबादी को टीका लगाने की दिशा में काम कर रहे हैं. अनुसंधानकर्ता अगले दो साल तक बच्चों में टीके के दीर्घकालिक प्रभाव पर नजर रखेंगे.
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