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दिल्ली में जंतर-मंतर पर जमा हुए यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्र और उनके अभिभावक, PM मोदी से की ये मांग

यूक्रेन- रूस में जंग के चलते भारतीय छात्रों को अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़कर वापस अपने वतन आना पड़ा. ऐसे में जान तो बच गई लेकिन अब भविष्य और करियर को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.

यूक्रेन से भारत लौटे मेडिकल छात्र और उनके अभिभावक आज दिल्ली के जंतर मंतर पर जमा हुए. इस दौरान छात्रों और अभिभावकों ने PM मोदी से मेडिकल कॉलेजों में दाखिले की अपील की. यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्र, छात्राएं और उनके अभिभावकों ने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा कि जो मेडिकल की पढ़ाई युद्ध क्षेत्र होने कारण अधूरी रह गई है उसे अपने देश से पूरा करने की अनुमति दी जाए साथ ही इसके लिए उचित प्रबंध भी किए जाने की मांग की. दरअसल मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन भारतीय स्टूडेंट्स की पहली पसंद है क्योंकि यहां भारत के मुकाबले पढ़ाई काफी सस्ती है. शिक्षा और विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक, यूक्रेन में भारत के 18,095 से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं. यूक्रेन के अलावा चीन, फिलीपींस और किर्गीस्तान भी मेडिकल के लिए छात्रों की पसंद हैं. लेकिन यूक्रेन रूस के युद्ध के चलते भारतीय छात्रों को युद्ध क्षेत्र से अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़कर वापस अपने वतन आना पड़ा. ऐसे में जान तो बच गई लेकिन अब भविष्य और करियर को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. इन चिंताओं को बयां करते हुए छात्रों ने आज जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण तरीके से अपील की.

दिल्ली में जंतर-मंतर पर जमा हुए यूक्रेन से लौटे छात्र

जंतर-मंतर पर 18 राज्यों से छात्र और उनके अभिभावक 'पेरेंट्स एसोसिएशन ऑफ यूक्रेन MBBS स्टूडेंट' के तहत जुड़े, जो यूक्रेन में मेडिकल में पढ़ाई कर रहे थे. पेरेंट्स एसोसिएशन ऑफ यूक्रेन MBBS स्टूडेंट के अध्यक्ष RB गुप्ता ने एबीपी न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि हमारी मांग है कि यूक्रेन से लौटे सभी भारतीय बच्चों को इंडिया में अकॉमोडेट किया जाए, करीब 22, 800 बच्चे वहां से रेस्क्यू किए गए जिसमें से 4,800 बच्चे इंजीनियरिंग, एमबीए के हैं. 18 हजार बच्चे मेडिकल के थे. 2 हजार बच्चे फाइनल इयर के लिए... NMC ने रूल दे दिया कि आप यहां इंटर्नशिप कर सकते हैं. 4 हजार बच्चे फाइनल इयर में चल रहे हैं. युद्ध की स्थिति में छात्रों को वापस तो नहीं भेज सकते हैं. स्वास्थ मंत्री को हमने ज्ञापन दिया, जिसमें हमने बताया है कि 12 हजार बच्चे ऐसे हैं जिन्हें पहले साल में दाखिला देना है. हर कॉलेज में 20 बच्चों को दाखिला देंगे तो इन सबको दाखिले मिल जायेंगे.

भारतीय कॉलेजों में दाखिले की अपील

महाराष्ट्र से आए अभिभावक नटराज कहते हैं कि मेरी बेटी खारकीव से आई है. देश के प्रधानमंत्री ने बच्ची की जान बचाई मैं जितना शुक्रिया अदा करूं कम है. मुंबई से आए अभिभावक मनीष श्रीवास्तव कहते हैं कि ऑपरेशन गंगा के तहत मेरा बेटा घर तक पहुंच सका. मैं पीएम मोदी का शुक्रगुजार हूं. हम उनसे अपील करते हैं कि इन बच्चों को किसी भी मेडिकल कॉलेज में दाखिला दे दिया जाए. हम ये नहीं चाहते कि किसी चिन्हित कॉलेज में ही दाखिला चाहिए. अलग अलग राज्यों से जंतर-मंतर पहुंचे छात्रों से भी एबीपी न्यूज ने बातचीत की. छत्तीसगढ़ से आई सुप्रिया कहती हैं कि हमे पूरा विश्वास है कि जिस तरह हमारी जान पीएम ने बचाई है वैसे ही हमारे करियर को भी बचा लेंगे. पहले हर कोई भारत में ही दाखिला लेने की कोशिश करता है लेकिन लिमिटेड सीट, आरक्षण के कारण दाखिला नहीं मिलता. अच्छे अंक के बावजूद दाखिला नहीं मिलता है. पढ़ाई पर खर्च करीब 1 करोड़ तक जाती है. यूक्रेन में सस्ती शिक्षा के कारण भी जाते हैं. 

छात्रों और उनके अभिभावकों को सता रही है करियर की चिंता

छात्रों ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि हमें कॉलेज में दाखिला मिल जाए. क्योंकि हमें सेवा भारत में ही करनी है. बाहर से पढ़कर भी हम भारत में ही प्रैक्टिस करते. छात्रा श्वेता मिश्रा कहती हैं कि "जितना हम यूक्रेन में पे कर रहे थे अगर सरकार उतना पे करने में राजी हो जाती है तो हम फीस जमा करने के लिए भी तैयार होंगे. हरियाणा से आई सलोनी कहती हैं कि मैं खारकीव में थी. पीएम मोदी का शुक्रिया करती हूं. अब भविष्य की चिंता है. उम्मीद है सरकार अच्छा सोचेगी. भारतीय छात्रा सान्या कहती हैं कि मेडिकल की हमारी पढ़ाई अभी ऑनलाइन चल रही है लेकिन मेडिकल की पढ़ाई लंबे वक्त तक ऑनलाइन नही हो सकती है. युद्ध क्षेत्र में क्या होगा किसी को नहीं पता. छात्रा कंचन भारत की मेडिकल की फीस कम करने की अपील के साथ कहती हैं कि किसी और देश में ट्रांसफर करना भी मुश्किल है. यूक्रेन जितने समान शुल्क पर हमारे लिए यहां सीट अरेंज की जाए. ऐसा करना संभव है क्योंकि पहले भी ऐसा हो चुका है और ये भी स्पेशल केस है. हम आधी पढ़ाई कर चुके हैं. यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों द्वारा प्रदर्शन और अपील मार्च आगे भी होने की संभावना है. छात्रों की प्रधानमंत्री से अपील है कि केंद्र और राज्य स्तर पर छात्रों को दाखिले दिया जाए जिससे उनकी कई वर्षों की पढ़ाई बर्बाद ना हो.

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