उमा भारती बोलीं- अयोध्या में बाबरी मस्जिद शर्म का प्रतीक था
एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत के दौरान उमा भारती ने राम मंदिर आंदोलन और उससे जुड़े मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि वे ये सोच कर जाती थीं कि वे भी मारी जाएंगी लेकिन मंदिर जरूर बनाएंगी.
नई दिल्ली: श्रीराम मंदिर आन्दोलन की नायक रही मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अपनी बेबाक शैली में न केवल आंदोलन कैसे खड़ा हुआ बल्कि इस बारे में भी बात की कि उस आन्दोलन के दौरान क्या-क्या समस्याएं आईं.
इस सभी मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात उन्होंने रखी. उन्होंने कहा कि जिस तरह मुसलमानों के लिए मक्का मदीना और ईसाइयों के लिए वैटिकन सिटी आस्था का केंद्र है, अयोध्या के बाबरी मस्जिद के साथ वैसी स्थिति नहीं थी. बाबरी मस्जिद तो शर्म का प्रतीक था. जो करोड़ों हिंदुओं को कष्ट पहुंचाने वाला था. उन्होंने कहा कि राम मंदिर आन्दोलन के दौरान उन्हें कभी नहीं लगा कि वो जिंदा वापस लौटेंगी. 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में जो कुछ भी हुआ वो उनकी आंखों के सामने हुआ और इसके लिए वे कोई भी सजा भुगतने के लिए तैयार हैं.
अन्याय के चलते राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी- उमा भारती
एक सवाल का जवाब देते हुए उमा भारती ने बताया कि वो 8 वर्ष की उम्र से ही वो रामायण का प्रवचन करती थी. उन्होंने बताया कि एक बार उन्हें अयोध्या में साधु ने बुलाया कि वो हमें भी आप का प्रवचन कराना है. इस दौरान महंत परमहंस रामदास जी के साथ उन्होंने मंदिर के दर्शन किए. वहां ताला लगा था, तो उन्होंने पूछा कि ताला क्यों लगा है. इस पर महंत रामदास ने बताया कि बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाया है. बीजेपी नेता ने कहा, ''मैं दुनिया भर के करीब 80 देशों में प्रवचन के लिए गई.''
उमा भारती ने कहा, "दुनिया भर में जो मैंने जो अन्याय देखें...अयोध्या की घटना भी मुझे अन्याय से जुड़ी दिखी. इस देश के करोड़ों करोड़ों हिंदुओं के आराध्य की जन्मभूमि है अयोध्या और 500 साल पहले कोई हमलावर आया और उसके सेनापति ने अपने विजय के स्मारक को साबित करने के लिए एक ढांचा खड़ा कर दिया. साथ ही अब सब तरस रहे हैं अपने आराध्य की पूजा करने के लिए. यह शोषण अन्याय के खिलाफ जो मेरा मन बना. जब बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनी है और उस समय उसमे सभी दलों के लोग थे और उन्होंने एलान किया कि हम बाबरी मस्जिद में नमाज पढ़ेंगे. तब हम लोगों ने घेराबंदी की. आसपास के 12 जिलों के घेराबंदी की गई और यह कहा गया कि हम वहां नमाज पढ़ने नहीं देंगे और बातें यहां से बढ़ गई कि यदि आप नमाज पढ़ेंगे तो हम जामा मस्जिद में हनुमान चालीसा पढ़ेंगे.''
मुझे लगा मैं भी मारी जाऊंगी- उमा भारती
उमा भारती ने बताया कि राममंदिर आंदोलन में दो लोग सबसे महत्वपूर्ण है. एक लालकृष्ण आडवाणी राजनीतिक रूप से और दूसरे अशोक सिंघल जो सबके प्रेरणा स्रोत रहे हैं. जिसकी वजह से आंदोलन चरम पर पहुंच गया है. जिसकी आप कल्पना कर सकते हैं कि 500 साल से चल रहे किसी आंदोलन में जब किसी व्यक्ति की भागीदारी हो रही हो तो यकीन मानिए जैसे कारगिल में जवानों को लग रहा था कि हम लोग कभी नहीं लौटेंगे. वैसे मुझे कभी नहीं लगा कि मैं अयोध्या से लौट कर आऊंगी.
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "मेरी आस्था इतनी थी, मैं दो बार गई और दोनों बार गोलियां चली. तो मैं सोच कर जाती थी कि मैं भी मारी जाऊंगी लेकिन मंदिर जरूर बनाऊंगी. अशोक सिंघल जी कहां करते थे कि यदि ऐसे समय में मेरी जान चली जाए तो इससे अच्छी बात क्या होगी. आडवाणी जी की भी मनोवृति यही थी."
उमा भारती ने कहा कि अयोध्या की तुलना मक्का और वेटिकन सिटी से नहीं कर सकते. मक्का मुसलमानों की आस्था का केंद्र है. वेटिकन सिटी ईसाईयों की आस्था का केंद्र है. अयोध्या का वह ढांचा किसी की आस्था का केंद्र नहीं था. वह शर्म का प्रतीक था, शर्मनाक प्रतीक था. उसके अंदर जो श्री राम बैठे थे, वे करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केंद्र थे. जो करोड़ों हिंदुओं को कष्ट देने वाला था. इससे जो 500 सालों से जो धीरे-धीरे आंदोलन चला था वह ज्वाला बन गई थी.
आस्था और जनभावना अलग-अलग होते हैं- उमा भारती
6 दिसंबर की घटना पर उमा भारती बोली कि हम वहां पर थोड़ा दूरी पर थे, एक मंच बनाया गया था. 6 दिसंबर की बहुत सारी घटनाओं पर माननीय जज ने उससे बहुत सारे सवाल पूछे हैं. लेकिन अपनी मर्यादा चलते में बाहर ज्यादा नहीं बोल सकती. अयोध्या आंदोलन के परिणाम के बारे में एक ही बात बोल सकती हूं वह यह है कि जब आप कोई आंदोलन छेड़ते हैं तो उसमें जो आस्था रखने वाले बहुत सारे लोग आएंगे और वह जरूरी नहीं कि आपके रिमोट कंट्रोल से चले. तो आस्था और जन भावना दोनों अलग-अलग प्रकार के होते हैं.
विपक्ष पर उमा भारती ने साधा निशाना
राम मंदिर की आड़ में चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह तो विपक्ष के कहने की आदत है क्योंकि मुख्य विपक्षी पार्टी यहां कांग्रेस है. और कांग्रेस के पास अपनी कोई आईडीलॉजी नहीं है. उन्होंने हमेशा वामपंथियों से आइडियोलॉजी उधार ली है. और वामपंथियों ने हमेशा हिंदुओं से नफरत की है. हिंदुओं की आइडियोलॉजी के साथ हिंदुओं की आस्थाओं से नफरत की है. इस देश को धर्म के नाम पर सेंटीमेंट के नाम पर डिवाइड किया है. इसलिए उन्हें आरोप लगाने ही थे. इसका जवाब जनता ने दे दिया जब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है तो पूरे देश के कैसे स्वीकार किया. कितनी शांति के साथ एकात्मता के साथ.
6 दिसंबर 1992 की घटना पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के भक्त हूं और मैं कोर्ट की मर्यादा में भी बंधी हुई हूं. यह मामला कोर्ट में हैं और हाल ही में मेरे बयान हुए हैं. इसमें भी मेरी मर्यादा देखिए सीबीआई ने हमें तब फ्रेम किया जब हमारी ही सरकार थी और हम इनके जवाब दे रहे हैं.
आस्था उनमुक्त होती है- उमा भारती
उमा भारती ने कहा, "इन हालातों में यही कहूंगी कि उस समय मैं अन्य लोगों के साथ मौजूद थी. मैं 1 दिसंबर से मौजूद थी. उसी समय मैंने संन्यास की दीक्षा ली थी और दूसरी बार सांसद थी. मैं वहां 1 दिसंबर से मौजूद थी वहां हमारे लोगों से हमारी बातचीत होती थी. मैं वहां मौजूद थी वह सारा नजारा मेरे यहां आंखों के सामने हुआ. इसलिए जो मैंने आपसे पहले ही कहा की आस्था उन्मुक्त होती है.''
संसार के किसी भी धार्मिक संस्था पर वैधानिक मुहर नहीं लगी जैसा की राम जन्म भूमि के मामले में हुई है. इसलिए हम जिसके लिए दोषी हैं दूसरी तरफ उसी पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है. इसलिए आनंद आता कि मेरे जीवन में ऐसा काम हो गया है जिसमें मुझे फांसी की भी सजा मंजूर थी. इस आंदोलन की हीरो हम नहीं भगवान राम है. इस आंदोलन के नायक भी भगवान राम है. इस आंदोलन के नायक लोगों की आस्था है वह लोग हैं जो मरे हैं. वासुदेव अग्रवाल सबसे पहले मरे थे फिर कोठारी बंधु फिर तो सैकड़ों लोग मरे.
राममंदिर आंदोलन के नायकों के नेपथ्य में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, "मैं इसे रूल आउट कर दूं. फिर आपने नेपथ्य में आने की बात पर आ जाए. मैं अभी हाल ही में अयोध्या गई थी. बड़े सम्मान के साथ लोगों ने स्वागत किया रामलला की आरती कराई. इसलिए मुझे कभी नहीं लगा कि मुझे साइडलाइन किया जा रहा है. तीसरी बात जो श्रेय लेने की कोशिश करेगा वह पाप का भागीदार होगा. इसमें श्रेय उन लोगों का है जो 500 साल तक इसे आंदोलन बनाए रखा. इसलिए मुझे कभी नहीं लगा कि हम नेपथ्य में चले गए.''
खुद के अयोध्या जाने के सवाल पर बोली इसके बारे में बहुत सारी बातों को मिलाकर फैसला होगा कोरोना वायरस की स्थितियां लगातार बदल रही हैं. मेरे लिए खुशी की बात है कि जैसे राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की उपस्थिति में सोमनाथ मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था वैसे ही मेरे लिए खुशी का क्षण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसी पवित्र आत्मा इसका भूमिपूजन करेंगे.
2019 में चुनाव न लड़ने और पार्टी के टिकट न देने के सवाल पर उमा भारती ने कहा कि टिकट काट दिया गया यह कैसे कह सकते हैं? उन्होंने कहा, "मैंने खुद ही घोषणा की कि मैं चुनाव नहीं लडूंगी और पार्टी ने मुझे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया तो ऐसी कोई बात नहीं है. जब मोदी जी ने पहला लोकसभा चुनाव 2014 का लड़ा था, तब उनकी जो उम्र थी वह मेरी 5 साल बाद होगी. मैं ऐसा कभी सोच भी नहीं सकती कि मुझे पार्टी टिकट नहीं देगी हां मुझे ही लगेगा कि चुनाव नहीं लड़ना है तो अलग विषय है.''
राहुल गांधी पर साधा निशाना
राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया के तीन ताकतवर लोगों में हमारे प्रधानमंत्री गिने जाते हैं. इसलिए पीएम मोदी को अपना कद बढ़ाने के लिए कोई जरूरत नहीं है. राहुल गांधी को कहूंगी उनको इतना बड़ा मौका मिला था कि नेहरू-गांधी परिवार को आगे ले जाने के लिए. लेकिन अपने बयानों से हलक़ी बातों से अपना अस्तित्व खो दिया है. जो आदमी खुद अमेठी चुनाव हार गया उसका क्या अस्तित्व होगा. उनका अस्तित्व खत्म हो चुका है. प्रधानमंत्री 2 घंटे के लिए अयोध्या जाएंगे उसमें क्या नुकसान होगा?
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