UN Anti-Terrorism Meeting: भारत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद रोधी समिति की दो दिवसीय बैठक का आयोजन किया गया. पहले दिन सम्मेलन का आयोजन शुक्रवार (28 अक्टूबर) को मुंबई (Mumbai) में और दूसरे दिन शनिवार (29 अक्टूबर) को सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली (New Delhi) में हुआ. संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी समिति के कार्यकारी निदेशालय (सीटीईडी) के शाखा प्रमुख डेविड शरिया (David Scharia) ने दिल्ली में कहा कि बैठक में आतंकवादियों के नई और उभरती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के खतरे पर उच्च स्तर पर चर्चा की है. 


उन्होंने कहा कि यूएनएससी भारतीय अध्यक्षता और पहल के तहत नई और उभरती हुई तकनीक के मुद्दे को मुख्य चिंता और ध्यान के केंद्र के रूप में लेता है. यूएनएससी सीटीसी अगले कुछ महीनों में अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का इरादा रखता है. 


क्या कहा सीटीईडी शाखा प्रमुख ने?


डेविड शरिया ने कहा कि हम पहले से ही देख रहे हैं कि आतंकवादियों के इस्तेमाल की जाने वाली नई और उभरती टेक्नोलॉजी के खतरे के मुद्दे पर यूएनएससी की भागीदारी बहुत उच्च स्तर पर है. यह अपने आप में इस बैठक की एक बड़ी उपलब्धि है. परिणाम दस्तावेज अगले महीने और साल के लिए आतंकवाद विरोधी समुदाय के लिए एक बहुत स्पष्ट कार्य योजना तैयार करेगा. वे कौन सी गतिविधियां करेंगे, वे क्या प्रतिबद्धता करेंगे और सदस्य राज्यों के साथ वे कैसे समर्थन करेंगे. ये सब तैयार किया जाएगा. 


पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर होने पर दिया बयान


यूएन की आतंकवाद विरोधी समिति के कार्यकारी निदेशालय (CTED) में वरिष्ठ कानूनी अधिकारी स्वेतलाना मार्टीनोवा ने पाकिस्तान को एफएटीएफ (FATF) की ग्रे लिस्ट से बाहर पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने, मूल्यांकन और हमारी तरफ से इसके अनुपालन सहित सभी विषयों पर यूएनएससी प्रस्तावों के अनुपालन के लिए प्रत्येक देश की निगरानी की जा रही है. इसमें देश के दौरे, डेस्क समीक्षा आदि शामिल है. हमारे पास समर्पित डेस्क अधिकारी हैं जो दुनिया के प्रत्येक देश को कवर करते हैं. निगरानी और विश्लेषण निरंतर जारी है. 


क्रिप्टोकरेंसी का आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए उपयोग किए जाने पर स्वेतलाना मार्टीनोवा ने कहा कि वैश्विक रुझानों के संदर्भ में, नकद और हवाला आतंक के वित्तपोषण के प्रमुख तरीके हैं. हम जानते हैं कि आतंकवादी अपने आस-पास की परिस्थितियों के विकास के लिए अनुकूल होते हैं और जैसे-जैसे तकनीक विकसित होती है, वे भी इसे अपनाने लगते हैं. उन्होंने कहा कि वे तकनीक का दुरुपयोग करते हैं. जो कुछ भी कमियां हैं, चाहे वह बहुत ही बुनियादी या बहुत उन्नत तरीके हों, इन सबका फायदा उठाते हैं. मुख्य चुनौती विनियमन है. हमारे पास FATF और UNSC के प्रस्तावों से बहुत स्पष्ट वैश्विक मानक हैं. 


"हम अपनी निगरानी जारी रखेंगे"


इस मामले पर शनिवार को भारत के विदेश मंत्रालय के सचिव एस वर्मा ने कहा कि FATF प्रक्रिया में कुछ निरंतरता है. एक बार जब आप ग्रे सूची से बाहर हो जाते हैं, तो इसका मतलब ये नहीं है कि आप जांच के दायरे में नहीं हैं. मुझे यकीन है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अन्य आतंकवाद विरोधी मंच देशों की जांच करेंगे. हमने अपनी निगरानी बनाए रखी है और हम भविष्य में भी इसे जारी रखेंगे. गौरतलब है कि पाकिस्तान (Pakistan) को एफएटीएफ (FATF) की ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. एफएटीएफ आतंकवाद की आर्थिक रसद पर नकेल कसने वाली सर्वोच्च संस्था है. पाकिस्तान को साल 2018 में इस लिस्ट में डाला गया था. जिसके चार साल बाद अब पाकिस्तान को लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. 


ये भी पढ़ें-


UNSC मीटिंग: दूसरे दिन भी आतंक पर बरसे एस जयशंकर, बोले- नई तकनीकों पर लगाम जरूरी, UN फंड में 5 लाख डॉलर का एलान