UN Refugee Agency Report: इन दिनों डिप्रेसिंग खबरों की बहार आई हुई है. सिर मुंडाते ओले वाली स्थिति है. दुनिया को लग ही रहा था कि कोविड के कमजोर होने के बाद सबको राहत मिलेगी. लेकिन डूबती इकॉनमीज़ से लेकर वॉर तक ने ऐसे अरमानों पर पानी फेर दिया. ऑक्सफैम की अमीरी और गरीबी की बढ़ती खाई वाली रिपोर्ट के बाद यूएनएचसीआर (UNHCR) की एक रिपोर्ट आई है. रिपोर्ट के फैक्ट्स बेहद चिंताजनक हैं. लेकिन फैक्ट्स तो फैक्ट्स होते हैं और हम आपके सामने वही रखने जा रहे हैं. तो यूएनएचसीआर की इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में विस्थापितों (Refugee) की संख्या 10 करोड़ के पार चली गई है. ये पहली बार हुआ है कि अपने घर से बेघर हुए लोगों की संख्या इतनी बड़ी हो. इसके पीछे रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) को एक बड़ी वजह बताया जा रहा है. ऐसे युद्ध और तमाम विपदाओं की वजह से ये 10 करोड़ से ज़्यादा लोग अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हुए हैं या मजबूर किए गए हैं.
United Nations High Commissioner for Refugees जो है वो UN की refugee agency है. इसने नए डेटा को सामने रखते हुए ये बात कही है. इसके पहले अफगानिस्तान से अमेरिका के निकलने के बाद भी भारी संख्या में विस्थापन हुआ था. रिपोर्ट के मुताबिक इतनी बड़ी आबादी violence, conflict, persecution and human rights violations से खुद को बचाने के लिए अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हुई या इन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया.
ये एक ऐसा रिकॉर्ड है जो कभी बनना ही नहीं चाहिए था
यूएनएचसीआर के मुताबिक Ethiopia और Democratic Republic of Congo से भी भारी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं. सीरिया और यमन जैसे देशों से भी लगातार विस्थापन होता रहा है. ऐसे भयानक विस्थापन पर इस संस्था का कहना है कि ये एक ऐसा रिकॉर्ड है जो कभी बनना ही नहीं चाहिए था. आगे ये भी कहा गया है कि ऐसी तमाम स्थितियों को पैदा होने से रोका जाना चाहिए ताकि लोगों को ऐसे विस्थापन से बचाया जा सके.
इन देशों में स्थिति हुई और खराब
डेटा देते हुए ये भी कहा गया है कि 10 करोड़ की जो आबादी है वो दुनिया की कुल आबादी का एक पर्सेंट हिस्सा है. इसको आसानी से समझाने के लिए ये भी कहा गया है कि महज़ 13 देश ही ऐसे हैं जिनकी आबादी 10 करोड़ से ज़्यादा है. इनके ही आंकड़ों के मुताबिक 2012 में विस्थापित की संख्या 4.1 करोड़ थी. 2019 में बढ़कर ये करीब आठ करोड़ हो गई. 2020 में ये संख्या बढ़कर 8 करोड़ से ऊपर चली गई. 2020 कोरोना महामारी की शुरुआत और इसके सबसे भयानक दौर वाले सालों में शामिल है. यूएनएचसीआर के मुताबिक 2021 के अंत तक ये संख्या बढ़कर 9 करोड़ लोगों की हो गई. संस्था ने ये जानकारी भी दी है कि अफगानिस्तान, बुर्किना फासो, डीआरसी, इथोपिया, म्यांमार और नाइजीरिया जैसे देशों में हिंसा की वजह से ये स्थिति और खराब हुई.
रूस और यूक्रेन युद्ध से भी बढ़ी संख्या
आपको याद होगा कि 24 फरवरी को रूस और यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था. अकेले इस युद्ध ने अब तक आठ मिलियन यानी करीब 80 लाख लोगों को विस्थापित कर दिया है. ये अस्सी लाख लोग विस्थापित होकर अपने देश में है. इनके अलावा 60 लाख लोगों को देश छोड़ना पड़ा है. दोनों देशों के बीच युद्ध अभी भी जारी है. कई दौर की बातचीत के बाद भी ये समाप्त होता नजर नहीं आ रहा.
लगातार डूब रही इकॉनमीज़
ऊपर से इकॉनमीज़ लगातार डूब रही हैं. इकॉनमीज़ के डूबने के मामले में भारत (India) के श्रीलंका (Sri Lanka) और पाकिस्तान (Pakiatan) जैसे पड़ोसी देश अपवाद नहीं है. इन देशों के अलावा दुनिया की ज़्यादातर छोटी इकॉनमीज़ बुरी तरह से संघर्ष कर रही हैं. बड़ी इकॉनमीज़ भी भयानक महंगाई और ऐसी तमाम विकट समस्याओं से जूझ रही हैं. ऐसे में विस्थापन के और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. इन सबके बीच यूएनएचआरसी (UNHRC) का कहना है कि जिन वजहों से विस्थापन हो रहा है उन्हें काबू करने की दरकार है ताकि स्थिति को बेहतर बनाया जा सके. उम्मीद है कि इस स्टोरी के ज़रिए हम आपको पर्याप्त जानकारी दे पाए होंगे.
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