असम के सरकारी अस्पताल में चल रहा था अनधिकृत कोविड टीकाकरण केंद्र, सरकार ने दिए जांच के आदेश
असम के एक सरकारी अस्पताल में अनधिकृत कोविड -19 टीकाकरण केंद्र चलाने का मामला सामने आया है. केंद्र में लोगों ने टीकाकरण की तय प्रक्रिया का पालन किए बिना वैक्सीन लगाई गई और एक डोज के लिए लोगों से 2000 रुपये लिए गए. असम स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मामले में हेल्थ वर्कर्स के एक ग्रुप की जांच के आदेश दिए हैं.
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गुवाहाटीः असम के एक सरकारी अस्पताल में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया का पालन नहीं करने और वैक्सीन के लिए रुपये लेने का मामला सामने आया है. असम में सिलचर के सिविल अस्पताल में एक समानांतर कोविड -19 टीकाकरण केंद्र चलाने के लिए हेल्थ वर्कर्स के एक ग्रुप की जांच की जा रही है. इन लोगों ने टीकाकरण की तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया और एक डोज के लिए लोगों से 2000 रुपये लिए. अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने कम से कम 80 व्यक्तियों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा है, जिन्हें उन्होंने कोविशिल्ड की डोज दी गई थी.
असम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को दावा किया कि उन्होंने पता लगाया है कि अर्बन हेल्थ सेंटर के लिए जारी दस वायल्स को सिलचर अस्पताल में चलाए जा रहे समानांतर टीकाकरण केंद्र में टीका लगाने के लिए इस्तेमाल किया गया. प्रारंभिक जांच के अनुसार, हेल्थ वर्कर्स स्वर्णजीत पॉल और सीनियर नर्स सरबानी रॉय अनधिकृत टीकाकरण केंद्र की मॉनिटरिंग करते पाए गए. 100 से ज्यादा इस्तेमाल की गई सिरिंज और कोविशिल्ड वैक्सीन के कुछ खाली शीशियां वहां मिली.
सीनियर अधिकारियों के आदेश से वैक्सीन लगाने का किया दावा
असमें में मंगलवार दोपहर को पूरा ऑपरेशन तब सवालों के घेरे में आ गया जब अस्पताल में एक कमरे के अंदर एक भीड़ की मौजूदगी ने संदेह को बढ़ा दिया. जिससे जिले के अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कार्यालय के कुछ स्टाफ सदस्यों पर सवाल उठने लगे. सरबानी रॉय और स्वर्णजीत पॉल ने कोविड -19 टीकों का बिना कोई रिकॉर्ड के रखे अपंजीकृत लाभार्थियों को लगाना स्वीकार किया है. हालांकि उन्होंने कुछ सीनियर अधिकारियों के आदेश के तहत काम करने का दावा किया.
सोमवार को 50 और मंगलवार लगभग 30 लोगों को लगाई वैक्सीन
सरबानी रॉय ने कहा कि उसने हाल ही में सिलचर सिवल अस्पताल को जॉइन किया और बिना किसी वैरीफिकेशन के लोगों को टीका लगाने के लिए उन्हें "आदेश" दिया गया था. रॉय ने “हमने सोमवार को लगभग 50 लोगों और मंगलवार 30 लोगों को टीका लगाया. मुझे एक हेल्थ वर्कर से वैक्सीन की शीशी मिली थी लेकिन मुझे उसका नाम नहीं पता. मुझे नहीं पता कि यह कानूनी है या नहीं. ”
वेस्ट मैनेजमेंट स्कीम की गाइडलाइंस का दिया हवाला
वहीं, स्वर्णजीत पॉल ने दावा किया कि वे वेस्ट मैनेजमेंट स्कीम की गाइडलाइंस अनुसार टीके का उपयोग कर रहे थे. “टीकाकरण की प्रक्रिया के दौरान कम से कम 10 फीसदी टीके बर्बाद हो जाते हैं. हमें हाफ-यूज वाले शीशियों से लोगों को टीका लगाने की अनुमति है. हमने शनिवार को वेस्ट मैनेजमेंट के तहत यह प्रक्रिया शुरू की लेकिन बाद में कुछ नई शीशियों का इस्तेमाल किया गया. " उन्होंने दावा किया कि उन्हें एक सीनियर अधिकारी से टीकाकरण करवाने के लिए लोगों की सूची मिली थी.
डोज लेने वाले व्यक्ति ने किया 2000 रुपये के भुगतान का दावा
कछार जिले एडिशनल डिप्टी कमिश्नर (हेल्थ ने सुमित सत्तवन ने कहा कि टीकाकरण के कुप्रबंधन के जांच के आदेश दिए हैं और इस मामले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ 24 घंटे के भीतर कार्रवाई की जाएगी. वहीं, सिल्चर कस्बे के निवासी 55 वर्षीय एक व्यक्ति ने बिना पंजीकरण के वैक्सीन की एक डोज हासिल की और कहा कि उसने इसके लिए 2000 रुपये का भुगतान किया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, असम में 5.92 फीसदी वैक्सीन डोज बर्बाद हुई हैं और यह इस मामले में हरियाणा के बाद दूसरे नंबर पर है.
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