UAPA के तहत साल 2016 से 2020 के दौरान 24 हजार से ज्यादा लोगों को किया गया गिरफ्तार, 386 हुए रिहा
UAPA News: 2019 में हुए संशोधन में सबसे अहम बात ये है कि इस कानून के तहत सरकार किसी संगठन या संस्था को ही नहीं बल्कि किसी व्यक्ति विशेष को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है.
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UAPA Cases: केंद्र सरकार ने गैरकानूनी क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act) को लेकर जानकारी साझा की. सरकार ने बताया कि साल 2016 से 2020 के बीच कुल 24 हजार 134 लोगों को यूएपीए (UAPA) कानून के तहत गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ सुनवाई हुई, लेकिन इनमें से केवल 212 लोग ही दोषी साबित हो सके.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय (Union Minister of State for Home Nityanand Rai) ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में एक सवाल के जवाब में बताया कि इस कानून के तहत इन चार सालों में 386 आरोपियों को देश की विभिन्न अदालतों ने रिहा कर दिया. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने बताया कि साल 2016-2022 के दौरान यूएपीए के तहत कुल 5 हजार 27 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से विचाराधीन लोगों की संख्या 24,134 थी. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस कानून के तहत जिन लोगों के खिलाफ केस चलाया गया उनमें से 212 आरोपियों को दोषी ठहराया गया और 386 को रिहा कर दिया गया.
क्या है UAPA कानून?
UAPA का फुल फॉर्म Unlawful Activities (Prevention) Act यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम है. इस कानून का मुख्य उद्देश्य आतंकी गतिविधियों पर रोकथाम लगाना है. पुलिस और जांच एजेंसियां इस कानून के तहत ऐसे आतंकियों, अपराधियों और संदिग्धों को चिन्हित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं.
यूएपीए कानून को साल 1967 में लाया गया था. इस कानून में लगातार संशोधन होते रहे. 2019 में यूएपीए कानून में संशोधन किया गया. जिसके बाद से इस कानून के तहत जांच के आधार पर किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को आंतकवादी घोषित किया जा सकता है. यूएपीए में विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया जाता है.
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