मुंबई: शहर से सटे पालघर के विक्रमगढ़ की ग्रामीण महिलाएं बांस की राखियां बना रही हैं. वोकल फॉर लोकल अभियान के तहत आत्मनिर्भर ग्रामीण महिलाएं बांस से राखी बनाने का काम कर रही हैं. 10 गांव की 300 महिलाएं देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी नाम कमा रही हैं.
वेढ़ी गांव की ग्रामीण महिलाएं बांस की डंडी को छील कर ढाल रही हैं, जिनके काम की चर्चा आज पूरे पालघर में हो रही है. कोरोना काल में भी ये अपने बेहतरीन काम के चलते अच्छी रकम कमा रही हैं. पालघर स्तिथ विक्रमगढ़ के दस गांव की महिलाएं आज रखी बनाने के काम में जुटी हुई हैं और राखी बनाने के लिए सभी महिलाएं बांस की डंडी का उपयोग कर रही हैं.
पिछले एक महीने से 300 से अधिक महिलाएं राखी बना रही हैं. हर जगह इनके काम की चर्चा होने के कारण इन्हें अच्छा प्रतिसाद भी मिल रहा है. केशव सुष्टि की महिलाओं का संचालन करने वाले संतोष गायकवाड़ आज ग्रामीण महिलाओं की उन्नति देख काफी खुश हैं.
संतोष का कहना है कि आज 10 गांव की महिलाओं की मेहनत रंग लाई है. बांस से राखी बनाने का काम इन महिलाओं का पहला प्रोजेक्ट है और लोगों से इन्हें काफी अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है. संतोष बताते हैं कि अब तक महिलाएं 50 हज़ार बांस की राखियां बना चुकी हैं. दस लाख राखी का ऑर्डर उन्हें मिला है, लेकिन वो इस साल संभव नहीं है. उम्मीद है अगले साल तक ये आंकड़े पूरे होंगे.
बांस की राखी बनाने के पीछे का मकसद केवल एक है कि हम अपने देश में बने सामानों को बेहतरीन मार्किट दें. क्योंकि हमारे देश में चीन से भारी संख्या में समान या राखी आयात की जाती हैं. ऐसे में हमे आत्मनिर्भर होकर लोकल के लिए वोकल होना चाहिए. अपने देश में बने सामानों को खरीदना चाहिए. जिससे ग्रामीण क्षेत्रो में बसे ऐसे हुनर को एक अच्छा मंच मिले.
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