नई दिल्ली: गरीबी हटाने की दिशा में भारत को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. दस सालों में देश में करीब 27 करोड़ लोग ग़रीबी से बाहर आए हैं. हालांकि अभी भी 36 करोड़ से ज़्यादा लोग किसी न किसी रूप में ग़रीबी झेल रहे हैं.


संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के आंकड़े
संयुक्त राष्ट्र के तहत काम करने वाली संस्था संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ग़रीबी के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवेलपमेंट इनिसिएटिव की रिपोर्ट ने एक रिपोर्ट तैयार किया है. रिपोर्ट के मुताबिक 2005-06 और 2015-16 के बीच भारत में ग़रीबी में जीने वाले लोगों की संख्या देश की कुल जनसंख्या का 27.5 फीसदी रह गई है. पहले 54.1 फीसदी आबादी ग़रीबी में जीवनयापन करती थी.


रिपोर्ट के मुताबिक इन दस सालों के दौरान 27.1 करोड़ लोग ग़रीबी के जीवन से बाहर आए हैं. हालांकि ये भी सच्चाई है कि भारत में अभी भी 36.4 करोड़ लोग ग़रीबी में ही जी रहे हैं. अगर 10 साल से कम उम्र की बात की जाए तो भारत में हर 4 में से 1 बच्चा ग़रीबी में जी रहा है.


आधे से ज़्यादा ग़रीब केवल चार राज्यों में
हालांकि इस रिपोर्ट का एक चिंताजनक पहलू ये है कि भारत के आधे से ज़्यादा ग़रीब परम्परागत तौर पर ग़रीब राज्यों में रहते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बिहार , झारखंड , उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में देश के 19.6 करोड़ ग़रीब निवास करते हैं. जबकि दिल्ली , केरल और गोवा में इनकी संख्या सबसे कम है. वैसे रिपोर्ट का एक संतोषजनक पहलू ये है कि पिछले कुछ सालों में इन राज्यों में ग़रीबी निवारण की दिशा में अच्छी प्रगति हुई है. झारखंड इस दिशा में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाला राज्य बना है.



UNDP के इंडिया निदेशक फ्रांकईंन पिकप के मुताबिक़ ये रिपोर्ट ग़रीबी हटाने की दिशा में भारत की ओर से उठाए गए कदमों के परिणाम है. उनका कहना है, "ये और भी उत्साहवर्धक है कि परम्परागत तौर पर पिछड़े रहे वर्ग सबसे तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. ये बात पीएम नरेंद्र मोदी में सबका साथ सबका विकास के नारे में भी परिलक्षित होती है."


सार्क देशों में मालदीव सबसे कम ग़रीब
हिन्द महासागर में बसे मालदीव में दक्षिण एशिया के सबसे कम ग़रीब लोग निवास करते हैं. इस देश में केवल 1.9 % लोग ग़रीब हैं. वैसे पाकिस्तान (43.9 %) , बांग्लादेश (41.1 %) और नेपाल (35.1%) के मुकाबले भारत की 27.5% लोग ही ग़रीबी में जीवनयापन करते हैं.


कैसे मापी जाती है गरीबी ?
रिपोर्ट में ग़रीबी को मापने के लिए एक व्यापक पैमाना तय किया गया है. ग़रीबी मापने के लिए आमदनी के अलावा शिक्षा , स्वास्थ्य और जीने का स्तर जैसे आयामों के अलावा पोषण , बाल मृत्यु दर , स्कूल में बिताए गए कुल समय , बिजली , स्वच्छता , पीने का पानी , घर और कुल सम्पति जैसे कसौटी का भी सहारा लिया जाता है. रिपोर्ट में 104 सबसे पिछड़े देशों को शामिल किया गया है. इन देशों की आबादी क़रीब 5.5 अरब है जो दुनिया भर की कुल आबादी का 74 फ़ीसदी है.