बेरोजगारी आंकड़ों को लेकर विवाद: NSC के दो सदस्यों के इस्तीफे पर सरकार की सफाई- आयोग ने कभी आपत्ति नहीं जताई
आयोग के दो सदस्यों के इस्तीफे के बाद विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर हो गया है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए रोजगार के आंकड़े देश को नहीं बताना चाहती.
नई दिल्ली: देश में बेरोजगारी के आंकड़ों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के दो सदस्यों ने मोदी सरकार के साथ कुछ मुद्दों पर असहमति होने के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया. जिसके बाद केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय को इसपर सफाई देनी पड़ी. मंत्रालय ने कहा है कि आयोग ने सरकार के खिलाफ कभी विरोध की आवाज़ नहीं उठाई.
मंत्रालय ने क्या कहा है?
मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण में कहा, ‘‘पिछले कुछ महीनों में हुई आयोग की किसी भी बैठक में इन सदस्यों ने अपनी आपत्ति जाहिर नहीं की. मंत्रालय एनएससी के सुझावों पर गौर करता है और उचित कदम भी उठाता है. श्रम सर्वेक्षण के बारे में मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय जुलाई 2017 से दिसंबर 2018 तक की अवधि के लिये तिमाही आंकड़ों का प्रसंस्करण कर रहा है. इसके बाद रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी. मंत्रालय ने कहा कि भारत के मजबूत जनसांख्यिकीय लाभ और करीब 93 प्रतिशत असंगठित कार्यबल को देखते हुए रोजगार के मानकों को प्राशासनिक सांख्यिकी के जरिए बेहतर करना जरूरी हो जाता है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग एक सरकारी संस्था है. इस संस्था के दो सदस्यों ने इस्तीफा देते हुए कहा कि सरकार रोजगार और जीडीपी के आंकड़े छुपा रही है. इसलिए वह इस्तीफा दे रहे हैं. खबर है कि सरकार और संस्था के दोनों सदस्यों के बीच रोजगार के आंकड़ों को लेकर मतभेद था और यही इस्तीफे का कारण बना.
मोदी सरकार पर हमलावर विपक्ष
इस इस्तीफे के बाद विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर हो गया है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए रोजगार के आंकड़े देश को नहीं बताना चाहती. कांग्रेस ने कहा है, ‘‘सांख्यिकी आयोग उन प्रतिष्ठित संस्थानों की कतार में शामिल हो गया है जिनको प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी ने बर्बाद किया है. इनमें आरबीआई, सीबीआई, सीवीसी, सीबीडीटी, ईडी और आयकर पहले से हैं.’’
कांग्रेस ने कहा, ‘’आत्मसम्मान वाले पेशेवर लोग इस सरकार के दबाव में नहीं झुक सकते और न ही डेटा के साथ छेड़छाड़ का प्रयास कर सकते हैं. लेकिन झुकने वाले नौकरशाहों का इस्तेमाल बदले की राजनीति के लिए हो सकता है. इनको आत्मसम्मान वाले पेशेवर लोगों से सीखना चाहिए.’’
बेरोजगारी आंकड़ों से जुड़ी रिपोर्ट जारी करे मोदी सरकार- अहमद पटेल
कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने ट्वीट कर कहा, ‘‘सरकार तत्काल बेरोजगारी से जुड़ी वह रिपोर्ट जारी करे जिसे उसने अपने पास रोक रखा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट और इसे तैयार करने वाले आयोग का ताल्लुक भारत की जनता से है, न कि किसी राजनीतिक दल से. इसका कोई मतलब नहीं है कि सरकार इस रिपोर्ट को सिर्फ इसलिए जारी नहीं करे कि इसके तथ्य उसके मुताबिक नहीं है.’’ पटेल ने कहा कि सांख्यिकी आयोग के सदस्यों के इस्तीफे से एक और संस्थान निष्क्रिय हो गया है.
किन दो सदस्यों ने दिया इस्तीफा?
बता दें कि इस्तीफा देने वालों में पी सी मोहनन और जे वी मीनाक्षी शामिल हैं. मोहनन आयोग के कार्यकारी चेयरपर्सन भी थे. दो सदस्यों के छोड़ने के बाद अब आयोग में केवल दो सदस्य- मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत बचे हैं. एक अधिकारी ने बताया कि दोनों सदस्यों ने 28 जनवरी 2019 को इस्तीफा दिया था. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन आने वाले आयोग में सात सदस्य होते हैं. बता दें कि वेबसाइट के मुताबिक, तीन पद पहले से ही रिक्त हैं.
इस्तीफे के बाद क्या बोले मोहनन?
इस्तीफे के बाद मोहनन ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘‘मैंने एनएससी से इस्तीफा दे दिया है. हमें लगा कि आयोग इन दिनों अधिक प्रभावी नहीं रह गया है और हमें यह भी लगा कि हम आयोग की जिम्मेदारियों का सही से निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं.’’
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