अब से कुछ महीने बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. मध्य प्रदेश में बीजेपी तो छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है. आम चुनाव से कुछ समय पहले इन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने के कारण कांग्रेस और बीजेपी पूरी कोशिश करेगी कि उनकी पार्टी की ही जीत हो. यही कारण है कि दोनों ही पार्टियों ने अपनी अपनी रणनीति बनानी शुरू भी कर दी है.


मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में एक समानता ये भी रही है कि इन तीनों ही राज्यों में पिछले पांच साल में रोजगार एक बड़ा मुद्दा बन कर सामने आया है. 


एक तरफ कुछ महीने पहले ही जहां छत्तीसगढ़ में फर्जी जाति प्रमाण के जरिए सरकारी नौकरी पाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए यहां के युवाओं ने नग्न प्रदर्शन किया था, तो वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में पेपर लीक का मुद्दा छाया रहा. मध्यप्रदेश में भी पटवारी भर्ती परीक्षा में धांधली के आरोपों को लेकर बवाल मचा हुआ है. 


ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन राज्यों के चुनाव में पेपर लीक और भर्ती घोटाला कितना बड़ा मुद्दा रहेगा?


1. पहले बात मध्य प्रदेश की 


मध्यप्रदेश में साल 2023 के जनवरी महीने में पटवारी भर्ती निकाली गई थी. जिसके लिए छात्रों ने मार्च के महीने में परीक्षा दिया था और जून में आए रिजल्ट ने सबको चौंका दिया. पटवारी परीक्षा में टॉप करने वाले 10 में से 7 अभ्यर्थियों का एग्जाम एक ही सेंटर पर हुआ था. 


जब एग्जाम बोर्ड की तरफ से टॉपर की सूची जारी की गई तब आरोप लगाया गया कि परीक्षा में टॉप करने वाले 10 में से 7 छात्रों ने ग्वालियर के एनआरआई इंजीनियरिंग कॉलेज में बने सेंटर में एग्जाम दिया था. इस मामले में कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि ये कॉलेज बीजेपी नेता का ही है.


मध्यप्रदेश में बेरोजगारी कितना बड़ा मुद्दा 


पिछले  एक साल के आंकड़े देखें जाएं तो राज्य में पांच लाख 46 हजार बेरोजगारों की संख्या बढ़ गई है. यह आंकड़ा अपने आप में चौंकाने वाला है. शिवराज सरकार की ओर से लगातार रोजगार पर जोर देने का दावा किया जाता रहा है. लेकिन यह भी हकीकत है कि राज्य में प्रतिदिन 1,495 बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है. इतनी बड़ी संख्या में सरकार की ओर से रोजगार के साधन उपलब्ध कराया जाना नामुमकिन दिखाई दे रहा है.


मध्य प्रदेश में अगर बेरोजगारों की संख्या के बात की जाए तो राज्य में 24,77,000 बेरोजगार सूचीबद्ध हैं. इसमें पिछले साल के 5,46,000 बेरोजगारों के आंकड़े को और जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 30 लाख 23000 पहुंच जाएगी. 


मध्यप्रदेश में मई से अगस्त 2022 तक बेरोजगारी दर 3.52% रही. इनमें पुरुषों में बेरोजगारी दर 3.48% और महिलाओं में 4.91% है.


एमपी युवा कितने असरदार?


मध्यप्रदेश में साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में मतदान करने वालों की संख्या 5.07 करोड़ थी, जो साल 2023 तक बढ़कर 5.40 करोड़ पहुंच गई है. इसका मतलब पहली बार वोट डालने वाले युवाओं की संख्या 30 लाख से ज्यादा है. 


2. छत्तीसगढ़


छत्तीसगढ़ में फिलहाल कांग्रेस की सरकार सत्ता में है. यहां भी साल 2023 के अंत तक विधानसभा चुनाव होने वाले है. कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद पार्टी के लिए जिन राज्यों में पहले से उनकी सत्ता है उसे बचाना सबसे जरूरी है. लेकिन राज्य में बढ़ रही बेरोजगारी को लेकर भारतीय जनता पार्टी लगातार छत्तीसगढ़ कांग्रेस पर हमला बोलती रही है. राज्य में पीएससी घोटाले को लेकर भी युवाओं के बीच नाराजगी है.


राज्य में बेरोजगारी कितना बड़ा मुद्दा 


घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष टीएस सिंहदेव ने राहुल गांधी व प्रदेश को मीडिया के सामने बताया था कि हर साल बेरोजगारी भत्ता जिसे वह स्टाइपेंड कहेंगे हेतु 3 हजार करोड़ का प्रावधान बजट में करेंगे. लेकिन राज्य में युवाओं को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. प्रदेश में इस वक्त लगभग 18 लाख पंजीकृत बेरोजगार हैं. जिसका मतलब है कि छत्तीसगढ़ में लगभग 18 लाख लोग ऐसे हैं जिनके पास रोजगार नहीं है.


समय समय पर रोजगार को लेकर होते रहे हैं प्रदर्शन 


छत्तीसगढ़ में जून महीने में लोक सेवा आयोग ने 2021 सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे जारी किए थे. उस वक्त बीजेपी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस सरकारी अफसरों के रिश्तेदारों के नाम सफल उम्मीदवारों की लिस्ट में हैं.


इतना ही नहीं कुछ महीने पहले ही राजधानी रायपुर में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी पाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कई युवाओं ने नग्न भी प्रदर्शन किया था.


प्रदर्शन कर रहे इन छात्रों के अनुसार राज्य सरकार की जांच समिति ने पाया था कि 267  सरकारी कर्मचारियों फर्जी जाति प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर नौकर कर रहे है. लेकिन उन सभी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.


छत्तीसगढ़ में कितने वोटों पर असरदार हैं युवा 


साल 2018 के हुए विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो राज्य में कुल 1.81 करोड़ वोटर्स हैं और साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव  तक इनकी संख्या 1.94 करोड़ से ज्यादा हो गई है. यानी, इस साल होने वाले चुनाव में 13 लाख से ज्यादा वोटर्स पहली बार वोट देंगे.


3. राजस्थान


साल 2022 में एक गैर सरकारी संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की एक रिपोर्ट सामने आई थी. जिसमें बताया गया था कि बेरोजगारी के मामले में राजस्थान देश में दूसरे पायदान पर हैं. लिस्ट में पहला स्थान हरियाणा को मिला है जहां 30.6 प्रतिशत बेरोजगारी है. 


दूसरे स्थान पर राजस्थान का नाम आता है जहां फिलहाल कांग्रेस की सरकार है और आने वाले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं. ऐसे में तेजी से बढ़ रही बेरोजगारी की दर को लेकर भारतीय जनता पार्टी भुनाने के प्रयास में है.


राजस्थान में कांग्रेस अपने कार्यकाल के चार साल में 1 लाख 36 हजार युवाओं को सरकारी नौकरी दे चुकी है. लगभग एक लाख पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है. राज्य में भले ही सरकारी भर्तियां हुई है लेकिन बेरोजगारों की संख्या लाखों है.


रिपोर्ट के अनुसार एक भर्ती में करीब 20 लाख बेरोजगार आवेदन करते हैं. कई भर्तियां तो अलग अलग कारणों से अटक जाती है. जिसके कारण राज्य के बेरोजगार युवाओं को कई सालों तक भटकना पड़ता है. 


अब जानते हैं राजस्थान में युवा कितने वोटो को प्रभावित करते हैं 


गहलोत सरकार के अब तक के कार्यकाल के जितने पेपर लीक के मामले सामने आते रहे आए, उसके कारण राज्य के लगभग 20 लाख से ज्यादा युवा प्रभावित हुए हैं. पांच साल में राज्य में करीब 25 लाख वोटर्स भी बढ़ गए हैं.