Rahul Gandhi in USA: अमेरिका के टेक्सास में कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी बेरोजगारी का मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा कि भारत में बेरोजगारी की समस्या है. हालांकि वैश्विक उत्पादन में चीन का प्रभुत्व है इसलिए वह बेरोजगारी का सामना नहीं कर रहा है. वहीं, भारत और अमेरिका समेत पश्चिमी देश बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं.


राहुल गांधी ने शिक्षा प्रणाली पर वैचारिक कब्जे का जिक्र करते हुए व्यावसायिक प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि व्यापार प्रणाली और शिक्षा प्रणाली के बीच की खाई को पाटा जा सके. 


राहुल गांधी ने उठाया बेरोजगारी का मुद्दा


बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा, 'पश्चिमी देशों में रोजगार की समस्या है. भारत में रोजगार की समस्या है. लेकिन दुनिया के कई देशों में रोजगार की समस्या नहीं है. चीन में निश्चित रूप से रोजगार की समस्या नहीं है. वियतनाम में रोजगार की समस्या नहीं है. उन्होंने आगे कहा, 'अगर आप 1940, 50 और 60 के दशक के अमेरिका को देखें, तो यह देश वैश्विक उत्पादन का केंद्र था. जो कुछ भी बनाया जाता था, (चाहे वह) कार हो, वॉशिंग मशीन हो (या) टीवी हो, सब अमेरिका में बनाया जाता था. अमेरिका में उत्पादन कम होने लगा. इसने कोरिया और फिर जापान का रुख किया. अंतत:, चीन उत्पादन का केंद्र बन गया. अगर आप आज देखें, तो वैश्विक उत्पादन में चीन का प्रभुत्व है.' 


उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश, अमेरिका, यूरोप और भारत ने उत्पादन के विचार को छोड़ दिया है और उन्होंने इसे चीन को सौंप दिया है. राहुल गांधी ने कहा, 'उत्पादन का कार्य रोजगार पैदा करता है. हम जो करते हैं, अमेरिकी जो करते हैं, पश्चिमी देश जो करते हैं, वह है उपभोग को व्यवस्थित करना. भारत को उत्पादन के कार्य और उत्पादन को व्यवस्थित करने के बारे में सोचना होगा.'


विनिर्माण को प्रोत्साहित करने की जरूरत


गांधी ने कहा, 'यह स्वीकार्य नहीं है कि भारत केवल यह कहे कि ठीक है, विनिर्माण, जिसे आप विनिर्माण या उत्पादन कहते हैं, वह चीनियों के लिए आरक्षित रहेगा. यह वियतनामियों के लिए आरक्षित रहेगा. यह बांग्लादेश के लिए आरक्षित रहेगा.' उन्होंने विनिर्माण को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, 'जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे, हमें बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा और स्पष्ट रूप से यह टिकाऊ नहीं है. इसलिए आप देखेंगे कि अगर हम विनिर्माण को भूलने के इस रास्ते पर चलते रहेंगे, तो आप भारत, अमेरिका और यूरोप में भारी सामाजिक समस्याओं को देखेंगे. हमारी राजनीति का ध्रुवीकरण इसी वजह से है.'


(इनपुट भाषा के साथ)