देश मे युवाओं के लिए आज बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. नेशनल इलेक्शन सर्वे 2019 में भी ये बात सामने आई थी कि देश का युवा रोजगार न मिलने से सबसे ज्यादा चिंतित है. एनईएस प्री-पोल 2019 के दौरान 25% युवा भारतीयों ने लोकसभा चुनाव में मतदान करते समय बेरोजगारी की समस्या को सबसे बड़ा मुद्दा बताया था. यह अनुपात देश के सेंट्रल में 29% और उत्तरी भागों में 34%  अधिक था, जिसमें ज्यादातर दक्षिण-पूर्व (16%) की तुलना में हिंदी भाषी राज्य शामिल थे.


एनईएस प्री-पोल 2019 के दौरान बेरोजगारी की समस्या हुई थी उजागर
एनईएस प्री-पोल 2019 में दो और सवाल किए गए,  जिन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता के साथ उजागर किया. पहला, यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र में एनडीए शासन के अंतिम 5 वर्षों के दौरान रोजगार के अवसर बढ़े या घटे तो 45% ने जवाब दिया कि वे कम हुए हैं जबकि 28% ने कहा कि वे बढ़े हैं. दूसरा, सवाल पूछा गया था कि क्या पिछले 3-4 वर्षों के दौरान नई नौकरी ढूंढना ज्यादा मुश्किल रहा या कम मुश्किल था.इस सवाल के जवाब में 49% ने कहा कि यह और भी कठिन हो गया है.


कोविड -19 के दौरान और ज्यादा बढ़ी है बेरोजगारी की समस्या
बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे युवाओं की स्थिति गांवो, कस्बों और शहरों में एक जैसी ही है. या यूं कहिए कि यह पूरे भारत के लिए एक चिंता का विषय है. यह भारत में रोजगार की एक निराशाजनक स्थिति की ओर इशारा करता है, जिसमें बेरोजगारी दर कोविड -19 और लॉकडाउन लगाए जाने की वजह से और बढ़ी है.


सरकारी नौकरी है युवाओं की पहली पसंद
ये भी बात सामने आई है कि राज्यों के पास पर्याप्त नौकरियां नही है लेकिन ज्यादा से ज्यादा युवा सरकारी एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं. एक स्टडी के दौरान जब युवाओ से  सरकारी नौकरी, प्राइवेट जॉब या अपने खुद के बिजनेस में से किसी एक को चुनने के लिए कहा गया तो प्रत्येक तीन में से दो ने सरकारी नौकरी को चुना. प्राइवेट नौकरी को 10 में से एक ने चुना.


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