नई दिल्लीः यूनिसेफ ने भारत के 24 साल तक के लोगों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के जरिए यूनिसेफ ने बड़ा दावा किया है. यूनिसेफ ने अपने रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत में 15 से 24 साल के बच्चों में सात में से एक बच्चा अक्सर उदास महसूस करता है. इस विवरण में यह ही बताया गया है कि उदास रहने वाले बच्चे काम में भी दिलचस्पी नहीं लेते हैं. रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि कोरोना महामारी वर्षों तक बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को प्रभावित कर सकती है.


21 देश के बच्चों पर हुआ सर्वे


यूनिसेफ और गैलप ने मिलकर साल 2021 की शुरुआत में 21 देशों में 20,000 बच्चों और वयस्कों पर यह सर्वे किया. सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत में युवा मानसिक तनाव के दौरान किसी का समर्थन लेने से बचने की कोशिश करते हैं. 'स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2021' रिपोर्ट में बताया गया है, ''भारत में 15 से 24 साल के बच्चों में केवल 41 प्रतिशत ने माना कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के दौरान मदद लेना अच्छा है, जबकि अन्य 20 देशों की बात करें तो यह प्रतिशत करीब 83 है.''


कोरोना महामारी में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा असर


रिपोर्ट के मुताबिक 21वीं सदी में बच्चों, किशोरों और देखभाल करने वालों के मानसिक स्वास्थ्य पर नजर रखने वाले यूनिसेफ ने कहा कि कोरोना महामारी का बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ा है. सर्वे में यह भी पाया गया कि भारत में 15 से 24 साल के बच्चों में सात में से एक अक्सर उदास महसूस करता है या काम करने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है.


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