Uniform Civil Code: यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर मचा सियासी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने बुधवार (5 जुलाई) को कहा कि यूसीसी को लागू करने की कोशिश करना एक धोखा था. उन्होंने समान नागरिक संहिता पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इससे किसको फायदा होगा? उन्होंने कहा कि ये तैयारी हिंदू राष्ट्र की विचारधारा से जुड़ी है.


द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, जाने-माने अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा, ''मैंने आज अखबारों में देखा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने में अब और देरी नहीं की जानी चाहिए. ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें कहां से आती हैं? हम हजारों सालों से बिना समान नागरिक संहिता के रहते आ रहे हैं और भविष्य में भी इसके बिना रह सकते हैं.''


हिंदू राष्ट्र को लेकर अर्थशास्त्री ने कही ये बात
प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने कहा कि हिंदू राष्ट्र ही इकलौता ऐसा तरीका नहीं हो सकता, जिससे देश प्रगति कर सकता है और इन सवालों को एक व्यापक नजरिए से देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर हिंदू धर्म का इस्तेमाल या दुरुपयोग करने की कोशिश की जा रही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यूसीसी लागू करने की कोशिश एक जटिल मुद्दे को सामान्य बताने की कोशिश है, जिसमें लोगों के बीच कई सारे मतभेद हैं.


अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के अल्पसंख्यकों के अधिकारों को छीनने वाले बयान पर सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि भारत में वर्ग, धर्म और लिंग के आधार पर बहुत असमानताएं हैं, जो चुनौती के तौर पर उभर सकती हैं. उन्होंने कहा कि मैं खुश हूं कि ओबामा ने इन मुद्दों को उठाया, लेकिन हममें से कई लोग इस मुद्दे को आसानी से बता सकते थे.


अमर्त्य सेन ने बुधवार को विश्व भारती यूनिवर्सिटी के छात्रों से अपने आवास पर मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने विश्व भारती के मैनेजमेंट पर सवाल खड़े किए, जो उनकी पैतृक संपत्ति से उन्हें निकालने की कोशिश कर रहा है. प्रोफेसर सेन ने कहा कि यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को खुद से पूछना चाहिए, क्यों बहुत से लोग उनके खिलाफ हैं. विश्व भारती के पूर्व छात्र अर्थशास्त्री से उनको मिले बेदखली के नोटिस पर अपना समर्थन करने पहुंचे थे.


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